रामनिवास ने बताया कि उसका बचपन गांव में ही बीता और परिवार शुरू से ही खेती-बाड़ी करता है। पिता का हमेशा से सपना था कि बेटा अफसर बने। ऐसे में रामनिवास के पिता ने उसे खेती-बाड़ी में ना डाल हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया और बचपन से एक ही सपना दिखाया कि उसे अफसर बनना है।
पिता के सपने को पूरा करने में रामनिवास ने भी कहीं कसर नहीं छोड़ी और आगे बढ़ने की ठान ली। ऐसे में पैसे की तंगी के कारण बीच-बीच में उसे परेशानियों का सामना भी करना पड़ा लेकिन उसकी जिद के आगे ये सब परेशानियां नहीं टिक सकी।
रामनिवास ने बताया कि भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय में जनसंपर्क अधिकारी के 4 पद निकले थे उसमें एक पर उनका का चयन हुआ है। उन्होंने एमबीए करने के बाद पत्रकारिता में मास्टर डिग्री हासिल की और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गए। रामनिवास ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अपने गुरु मनीष शुक्ला को दिया।
जयपुर में मिला अचीवमेंट अवार्ड राम निवास ने बताया कि उनकी सफलता के लिए राजधानी जयपुर में संचालित मीडिया स्कूल ने भी सम्मान समारोह आयोजित कर उनको ‘सर्टिफिकेट ऑफ अचीवमेंट’ नाम से प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। रामनिवास की सफलता के बाद नेहरा वाली ढाणी में खुशी की लहर है।