होटल-मैरिज पैलेस में आग लग जाए तो जान बचा कर भागने के लिए आपातकालीन द्वार तक नहीं
हनुमानगढ़Published: Feb 15, 2019 12:10:06 pm
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विवाहस्थल, शोरूम व निजी अस्पतालों की की स्थिति भयावह
विवाहस्थल, शोरूम व निजी अस्पतालों की की स्थिति भयावह : एक ने भी नहीं ले रखी सुरक्षा संबंधी एनओसी
होटल-मैरिज पैलेस में आग लग जाए तो जान बचा कर भागने के लिए आपातकालीन द्वार तक नहीं
हनुमानगढ़. शहर के किसी होटल, मैरिज पैलेस, धर्मशाला, निजी अस्पताल व मॉल में आग लग जाए तो जान बचाकर भागना मुश्किल ही नहीं नमुमकिन है। किसी भी तरह घटना होने पर नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए होटल, धर्मशाला व मैरिज पैलेस में आपातकालीन द्वार तक नहीं है। हैरत की बात है कि करोड़ों रुपए की लागत से निर्माण हुए विवाह स्थल और होटल संचालकों ने सुरक्षा संबंधी एनओसी तक नहीं ली। हालात हैं कि नगर परिषद सुरक्षा संबंधि एनओसी देने के लिए प्रत्येक वर्ष एक रजिस्टर लगाया जाता है। लेकिन इसमें पूरे वर्ष तक एक भी अक्षर अंकित तक नहीं होता। संचालक सिर्फ निर्माण स्वीकृति लेकर इतिश्री कर लेते हैं। गंभीर बात यह है कि नगर परिषद अधिकारी सुरक्षा संबंधी एनओसी के लिए आवेदन नहीं करने के बावजूद निर्माण कार्यों को हरी झंडी दे देते हैं और निर्माण होने के पश्चात व्यवस्थाओं का जायजा तक नहीं लेते। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले स्वायत्त शासन विभाग ने एक आदेश जारी कर शहर के सभी मैरिज पैलेस, होटल, धर्मशाला आदि में 25 बिन्दुओं की गाइडलाइन जारी कर सर्वे करने के आदेश दिए थे। चुनाव से पहले नगर परिषद के अधिकारियों ने टाउन व जंक्शन की दो कमेटियों का गठन कर खानापूर्ति कर ली। इसके पश्चात कार्रवाई करना ही भूल गए। गत दिनों में दिल्ली के होटल में आग लगने से 17 की मौत होने पर स्वायत्त शासन विभाग ने विवाह स्थल व होटलों में अग्निशमन संबंधी सूची मांगी तो नगर परिषद फिर से जाग उठी। आलम है कि नगर परिषद टीम की ओर से फिर से अब सर्वे किया जा रहा है। अभी तक जंक्शन क्षेत्र में करीब 29 स्थलों का निरीक्षण किया जा चुका है, जहां एक दो खामियां नहीं पूरी भरमार है। इन स्थलों में होटल, विवाह स्थल, निजी अस्पताल व बड़े शोरूम शामिल हैं।
एक-दो ही पंजीकृत
नगर परिषद क्षेत्र में चार दर्जन के आसपास धर्मशाला, मैरिज पैलेस, बैंक्वेट हॉल, होटल आदि स्थल हैं। जहां छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हैरत की बात है कि नगर परिषद के पास इन स्थलों की जानकारी तक नहीं है और एक-दो को छोड़कर किसी ने नगर परिषद में पंजीकरण तक नहीं करवा रखा। इतना ही नहीं कि इन स्थलों से नगर परिषद को मनोरंजन कर के नाम से वार्षिक पांच लाख रुपए का राजस्व होने का आकंलन किया जाता है, लेकिन आज तक धेला जमा नहीं हुआ। इन स्थलों के संचालकों पर कार्रवाई करने के लिए 2016 में नगर परिषद ने टीम का गठन कर भूमि के सर्वे करने के आदेश दिए थे। इसमें भूमि, अग्निशमन यंत्र व कचरे की व्यवस्था को लेकर टीम ने जानकारी एकत्रित कर फाइल तैयार करनी थी। टाउन व जंक्शन में केवल 16 स्थलों के सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर फाइल को एक कौने में दबा दी। इसके बाद अधिकारियों ने न तो फाइल बाहर निकालने की जहमत उठाई और नहीं ही कोई कार्रवाई की।
किसी के पास नहीं एनओसी
निरीक्षण के दौरान सामने आ रही खामियों के बाद पत्रिका ने सुरक्षा संबंधी एनओसी लेने से संबंधित नगर परिषद रिकार्ड मांगा तो केवल खाली कागज हाथ लगे। इसके बारे में पूछा तो मालूम हुआ कि आज तक इन स्थलों में निर्माण पर करोड़ों खर्च करने वाले संचालकों ने सुरक्षा संबंधि एनओसी लेने के लिए आवेदन तक नहीं किया। नियमों के अनुसार निजी अस्पताल, स्कूल, कॉलेज आदि सभी स्थलों के पास अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था होने के साथ नगर परिषद से एनओसी लेना भी अनिवार्य है। इसके अलावा आवसीय इमारत जिसमें ग्राउंड फ्लोर के ऊपर तीन मंजिला इमारत हो सुरक्षा संबंधी उपकरण के सभी उपकरणों के साथ एनओसी होना अनिवार्य है।
जाम पड़े हैं अग्निशमन यंत्र
सर्वे के दौरान नगर परिषद के अधिकारियों को Óयादातर अग्निशमन यंत्र जाम मिले। जो सही थे, उनमें रिफलिंग तक नहीं थे। ऐसे में आग लगने की दुर्घटना होने पर इन स्थलों के संचालक दमकल के सहारे ही बैठे हैं। एक निजी अस्पताल के संचालक ने आपातकालीन द्वार होने की दलील दी। जब नगर परिषद की टीम खोलने लगी तो वह भी खोल नहीं हो पाई। जबकि आग लगने के दौरान अफरा-तफरी जैसा माहौल होता है। इनमें अग्निशमन यंत्र लगाने के लिए संचालकों को पाबंद किया जाएगा या नहीं, अभी तक नगर परिषद ने यह भी निर्णय नहीं किया है।
जाम पड़े हैं अग्निशमन यंत्र
सर्वे के दौरान नगर परिषद के अधिकारियों को Óयादातर अग्निशमन यंत्र जाम मिले। जो सही थे, उनमें रिफलिंग तक नहीं थे। ऐसे में आग लगने की दुर्घटना होने पर इन स्थलों के संचालक दमकल के सहारे ही बैठे हैं। एक निजी अस्पताल के संचालक ने आपातकालीन द्वार होने की दलील दी। जब नगर परिषद की टीम खोलने लगी तो वह भी खोल नहीं हो पाई। जबकि आग लगने के दौरान अफरा-तफरी जैसा माहौल होता है। इनमें अग्निशमन यंत्र लगाने के लिए संचालकों को पाबंद किया जाएगा या नहीं, अभी तक नगर परिषद ने यह भी निर्णय नहीं किया है।
2017 में जिला कलक्टर ने दिए थे आदेश
मई 2017 में भरतपुर में अधंड के कारण एक विवाह स्थल की पिल्लर ढहने से 24 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद राÓय सरकार ने विवाह स्थल, शहर की भीड़-भाड़ वाले कॉमप्लेक्स, प्रतिष्ठान, निजी अस्पताल आदि में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था जांचने के आदेश दिए थे। इसके चलते उस समय के जिला कलक्टर ने इस संबंध में नगर परिषद में संचालकों की बैठक बुलाकर दिशा-निर्देश देने सहित अग्निशमन से संबंधित सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। इसके पश्चात टाउन स्थित नपकार्यालय में सभापति कक्ष में शहर के अधिकांश संचालकों की बैठक बुलाकर निर्देश दिए और नगर परिषद अधिकारियों की दो टीमों का गठन कर सर्वे करने पर सहमति हुई। लेकिन इस सर्वें के दौरान भी खानापूर्ति कर कर्मचारी भूल गए।