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गोशाला में घी-मक्खन के साथ बनेंगे रसगुल्ले!

locationहनुमानगढ़Published: Jun 16, 2019 12:25:07 pm

Submitted by:

Manoj

…ताकि गोशाला बने आत्मनिर्भर, नहीं रहना पड़े चंदे पर निर्भर
गोविंद धाम गोशाला
१८५० गौवंश, ७५ कर्मी, पौने तीन करोड़ वार्षिक खर्च

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हनुमानगढ़. गोशाला ! यह नाम आते ही जेहन में चारों तरफ बंधी गायों की तस्वीर उभरती है और ऐसा माना जाता है कि गोशालाएं जन सहयोग से संचालित होती है लेकिन हनुमानगढ़ जंक्शन में अबोहर रोड पर स्थित श्री गोविन्दधाम गोशाला जहां जन सहयोग की जीवंत मिसाल है, वहीं बहुत जल्द आत्मनिर्भरता का भी उदाहरण बनेगी। यदि सब कुछ श्री गोविन्द धाम गोशाला समिति के पदाधिकारियों की योजनानुसार हुआ तो आने वाले समय में गोशाला आत्मनिर्भर हो जाएगी। इतना ही नहीं जिले की अन्य गोशालाओं को भी इन प्रयासों से स्वावलम्बी बनाने में मदद मिलेगी। श्री गोविन्द धाम गोशाला ने दूध से मिठाइयां बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। ताकि इससे होने वाली आमदनी से गोशाला को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके और गोवंश को गुणवत्ता पूर्ण खुराक दी जा सके।
वर्ष 2007 में जंक्शन में अबोहर रोड पर स्थापित श्री गोविन्द धाम गोशाला में वर्तमान में १८५० गोवंश है। जिसमें से 200 दुधारू गाय, 450 गोधे और लगभग 1200 वृद्ध गाय, बछड़े और बीमार गोवंश है। इन सबकी देखभाल के लिए लगभग 75 कर्मचारियों का स्टाफ है। संचालन समिति के अनुसार गोशाला संचालन पर वर्ष भर में करीब पौने तीन करोड़ रुपए का खर्च होता है। सर्वाधिक खर्च गोशाला परिसर में संचालित पशु चिकित्सालय पर होता है। यह सब कार्य जन सहयोग और राजकीय अनुदान से होता है।
गोविन्द धाम गोशाला समिति अध्यक्ष इन्द्र कुमार हिसारिया के अनुसार, गोशाला स्थापना के समय लगभग दो सौ गोवंश था, निरन्तर विस्तार के बाद वर्तमान में लगभग साढ़े अठारह सौ गोवंश है। ऐसे में गोशाला का खर्च भी निरन्तर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जन सहयोग अपार मिल रहा है लेकिन हमने ऐसे प्रयास किए हैं और योजनाएं बनाई हैं कि गोशाला आत्मनिर्भर हो जाए। ताकि भविष्य में गोशाला संचालन में परेशानी नहीं हो। इसी कड़ी में गोशाला में करीब तीन वर्ष पहले कूपन पद्धति से दूध विक्रय किया जाने लगा।
लगभग दो साल पहले उच्च गुणवत्ता का शुद्ध देसी घी तैयार किया जाने लगा। इससे होने वाली आमदनी से गोशाला का विस्तार किया गया और गोवंश की संख्या बढ़ाई गई। अध्यक्ष इन्द्र कुमार हिसारिया के अनुसार गोशाला में देसी गायों का संरक्षण और संवद्र्धन किया जा रहा है। उन्हें बेहतर खुराक दी जा रही है। गोवंश की देखभाल बढिय़ा तरीके से की जा रही है। हिसारिया के अनुसार इससे गायों के दूध में वृद्धि हुई।
इसी कड़ी में गोशाला परिसर में दूध से बनने वाली मिठाइयों का निर्माण शुरू किया गया है। इनमें रसगुल्ला और रबड़ी से बनने वाली ‘संदेशÓ मिठाई बनानी शुरू की गई है। इसके अलावा कुल्लड़ में मीठा दही बना कर विक्रय करने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है। हिसारिया के अनुसार बंगाली कारीगर गोशाला परिसर में दूध से बनने वाली मिठाइयां बनाएंगे। प्रारंभ में रसगुल्ला और रबड़ी से संदेश मिठाई बनानी आरंभ की गई है। इसके बाद चरणबद्ध रूप से दूध से बनने वाले अन्य मिष्ठान बनाए जाएंगे।
प्रथम चरण में इनका विक्रय गोशाला परिसर में निर्धारित दरों पर किया जाएगा। हिसारिया ने बताया कि गोशाला समिति का उद्देश्य है कि गोशाला के दूध का व्यवसायिक उपयोग करके गोशाला को स्थाई आमदनी हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में गोवंश का पालन-पोषण किया जा सके। उन्होंने बताया कि आमजन को उच्च गुणवत्ता का शुद्ध और पोष्टिक दूध, घी, मक्खन और मिठाइयां मिले और गोशाला आत्मनिर्भर हों, इसके लिए यह कार्य आरंभ किया गया है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में जल्द ही जिले की सभी गोशालाओं को जोड़ा जाएगा ताकि सभी गोशालाएं आत्मनिर्भर हों।

भगवान को भोग के साथ हुआ श्रीगणेश
गोविन्द धाम गोशाला परिसर में शनिवार को मिठाई बनाने के कार्य का शुभारंभ भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगा कर किया गया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष इन्द्र कुमार हिसारिया एवं पदाधिकारी शिवभगवान ढुढाणी, गोपाल जिन्दल, पार्षद महेश शर्मा, मनीष बत्तरा, बीरबल जिन्दल, रामकुमार गोदारा, मुकेश महर्षि सहित बड़ी संख्या में गोसेवक उपस्थित थे।
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