scriptHartalika Teej 2017 : यहां सालों से लगता आ रहा है तीजा मेला | Hartalika Teej 2017 puja vidhi vrat katha jalabhishek vrat puja samagri timing date mela in hindi | Patrika News

Hartalika Teej 2017 : यहां सालों से लगता आ रहा है तीजा मेला

locationहमीरपुरPublished: Aug 25, 2017 07:29:00 am

Hartalika Teej 2017 : हरितालिका तीज के मौके पर “तीजा मेला” मनाया जाता है।

Hartalika Teej 2017

हमीरपुर. जिले में हरितालिका तीज के मौके पर “तीजा मेला” मनाया जाता है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण की अगुआई में शंकर जी की विशाल बारात निकाली जाती है। जिसमें विभिन्न प्रकार की सौ से अधिक झाकियां सजाई जाती हैं।इसमें श्री कृष्ण की तरह तरह की लीलायें भी की जाती हैं।

हरतालिका तीज को महिलायें निर्जल रह कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस मौके पर दो सौ सालों से इस विशाल अद्भुत और अनोखी शिव बारात का आयोजन किया जा रहा है जिसमें माखन चोर की अगुवाई में शिव -पार्वती जी से शादी करने के लिए पहुचते है जिसके बराती लाखों लोग बनते हैं।

शंकर जी की इस अनोखी और अदभुत बारात में ब्रह्मा जी, राम -लक्ष्मण, माँ दुर्गा, परशुराम, पूतना, रावण, कंस की झाकियों के साथ भुत-प्रेत, लाखों लोग और खुद उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान शामिल हैं। तीज मेले के मौके पर निकलने वाले इस शिव बारात में भव्य झाकियों का भव्य स्वरूप सब का मन मोह लेता है। आकर्षित रूप से सजी यह झाकियां लोगों के कौतुहल का विषय बन जाती है।

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के भरुवा-सुमेरपुर कस्बे में हरितालिका तीज के मौके पर दो दिवसीय तीजा मेला मनाने की प्राचीन परम्परा है। इस मेले में आसपास के पड़ोसी जिलों के अलावा दूर दराज से आये लाखों भक्तों की भीड़ जुटती है। जो इस विशाल शोभा यात्रा को देखने के लिए उमड़ पड़ती है। श्री कृष्ण मंदिर से झाकियां उठ कर पूरे नगर का भ्रमण करतीं हैं और शाम को हर चन्दन तालाब में नाग नाथ के कार्यक्रम के बाद इसका समापन किया जाता है। जब शंकर जी की अनोखी बारात सड़कों से गुजरती है तो सड़कों के दोनों किनारों में खड़े श्रधालु, स्त्री -पुरुषों की भीड़ के जयकारों से आकाश गूंज जाता है।

मान्यता यह भी है की भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद गोकुल में असुरों का आवागमन शुरू हो गया था जो किसी भी दशा में श्री कृष्ण की हत्या करना चाहते थे। असुर तो सफल नही हुए, लेकिन बाल कृष्ण ने स्वयं इन असुरों का वध कर दिया. इसी मान्यता के आधार पर श्री कृष्ण जन्माष्ठमी के बाद से क़स्बा सुमेरपुर को गोकुल मानते हुए तीजा मेले का आयोजन किया जाता है और राक्षसों के रूप में तीजा निकलते हैं। जिसमे लाखो स्त्री ,पुरुष और बच्चे आनंद लेते हैं।

इस मेले में न केवल झाकियां सजाई जाती है बल्कि अंतिम ने एक प्राचीन कृष्ण मंदिर के पास स्थित हर चंदन तालाब के बीच में कृष्ण द्वारा शेषनाग का नाथन भी किया जाता है इस दौरान महिलाओ के झुंड मंगल गीत गाती है दो दिनों तक चलने वाले इस मेल में कृष्ण लीलाए और विभिन्न संस्कृतिक कार्यकर्म होते है, झूले, सर्कस और यहां सजी तरह तरह की दुकानों से लोग खरीददारी करके अपना मनोरंजन भी करते है।


भाद्रपद माह की तीज , हर तालिका तीज के रूप मनाई जाती है जिसमे शादी सुदा महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र के लिए बिना अन्य जल ग्रहण किये व्रत रहती है और शिव -पार्वती की पूजा करती है ,इसी मौके को विशाल रूप देकर तीज मेले की शुरुवात 200 वर्ष पूर्व की गई थी। तभी से यह मेला लोगों की आस्था का केन्द्र बन गया और लोगों को साल भर इस मेले का इंतजार रहता है।

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