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Amla Navami 2018 : चौरादेवी में जुटी महिलाओं की भीड़, आंवले के पेड़ के नीचे मांगी मन्नतें

locationहमीरपुरPublished: Nov 17, 2018 04:11:34 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

Amla Navami 2018 : जिले में इच्छा नवमीं के अवसर पर चौरा देवी मंदिर में महिलाओं के साथ-पुरुषों ने पूजा अर्चना की एवं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर मन्नतें मांगी।

Amla Navami 2018 puja vidhi and mahatva in hindi

Amla Navami 2018 : चौरादेवी में जुटी महिलाओं की भीड़, आंवले के पेड़ के नीचे मांगी मन्नतें

हमीरपुर. जिले में इच्छा नवमीं के अवसर पर चौरा देवी मंदिर में महिलाओं के साथ-पुरुषों ने पूजा अर्चना की एवं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर मन्नतें मांगी। इच्छा नवमीं को देखते हुए मंदिर परिसर में सुबह से श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गई थी। मंदिर के पुजारी रामशंकर ने बताया कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या इच्छा नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन व प्रसाद आदि ग्रहण करना चाहिए। भोजन के समय यदि थाली में आंवले का पत्ता गिरे तो यह शुभ माना जाता है।

आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने पर होती है हर मन्नत पूरी

आंवला नवमी से जुड़ी धार्मिक मान्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि आज ही के दिन एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने आई थी तब रास्ते में उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल भगवान शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। इसी समय से यह परंपरा चली आ रही है।

कई वर्षों से चली आ रही यह परंपरा

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और खाना खाने से कष्ट दूर हो जाते हैं। अपने पूरे परिवार के साथ मंदिर में पूजा करने पहुंची श्रद्धालु सीमा ने बताया कि उनके पूरे परिवार ने आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन किया है। उन्होंने बताया कि पूरे कार्तिक मास में व्रती महिलाएं नमक नहीं खाती हैं एवं पेड़ के नीचे बैठकर प्रसाद ग्रहण करने के बाद जो भी मन्नत मांगी जाती है वह जरूर पूरी होती है।

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