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ग्वालियर

National Telephone Day : एक कॉल के लिए खर्च करने पड़ते थे ज्यादा पैसे, करना पड़ता था घंटों तक इंतजार

आज भले ही दुनिया 5जी, 6जी और 7जी की बात कर रही हो, लेकिन एक दौर वह भी था जब किसी के घर में टेलीफोन लगता था तो पूरे मोहल्ले में चर्चा हो जाती थी। जरूर पढ़ें ये रोचक खबर…

ग्वालियरApr 25, 2024 / 10:43 am

Sanjana Kumar

National Telephone day
आज भले ही दुनिया 5जी, 6जी और 7जी की बात कर रही हो, लेकिन एक दौर वह भी था जब किसी के घर में टेलीफोन लगता था तो पूरे मोहल्ले में चर्चा हो जाती थी। आज एंड्राइड के जमाने में एक मोबाइल में सब कुछ उपलॉब्Žध है, लेकिन एक दौर वह भी होता था जब फोन के ट्रिंग-ट्रिंग बजने के साथ ही लोग चौकन्ने हो जाते थे।
खासतौर पर छोटे बच्चों में यह होड़ लग जाती थी कि फोन को रिसीव कौन करेगा? दरअसल पुराने दौर की ये बातें सोचने पर एकदम फैंटेसी की तरह लगती हैं, लेकिन हकीकत यही है कि दूरसंचार के दौर को बदलने में ज्यादा वक्€त नहीं लगा। आज भले ही हर हाथ में मोबाइल है और पूरी दुनिया एक छोटे से इले€ट्रॉनिक यंत्र के जरिये मुट्ठी में है, पर कभी लैंड लाइन फोन भी स्टेटस सिंबल हुआ करता था। संचार क्रांति ने अब उसे इतिहास का हिस्सा बना दिया है। आज नेशनल टेलीफोन डे वह अवसर है जब हम संचार की दुनिया में हुए क्रांतिकारी बदलाव को याद करें। उस इतिहास को भी याद करें, जहां से हम इसे लेकर आगे बढ़े हैं।

2 जून 1857 में हुआ था अविष्कार

एले€जेंडर ग्राहम बेल ने 2 जून 1875 में टेलीफोन का अविष्कार किया। हालांकि उसके पेटेंट को लेकर उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी। 7 मार्च 1876 को उन्हें टेलीफोन का पेटेंट हासिल हुआ। आज जब हम टेलीफोन या मोबाइल पर कॉल कने€ट करते हैं, तो सबसे पहले हेलो बोलते हैं। कहा जाता है कि ग्राहम बेल ने अपनी गर्लफ्रेंड मारग्रेट हेलो के कारण फोन पर हेलो बोला और ये चलन में आ गया।

हमारे घर में उस समय 18 लैंडलाइन फोन थे

जनकगंज निवासी अशोक आनंद ने बताया कि हमारे यहां 1968 में लैंडलाइन फोन लगा था। उस समय दिल्ली, लखनऊ और कानपुर जैसी जगहों से नई बहुएं शादी होकर आई थीं। उनके मायके से आने वाले फोन को अटेंड करने के लिए पिताजी (स्व. दीनानाथ आनंद) ने निर्देश दिए थे, चाहे कभी भी फोन आए उनकी बात करा देना। हमारे कारोबार और निवास मिलाकर 18 लैंडलाइन फोन लगे थे। वो एक अलग ही दौर था, जब ट्रंक कॉल करके नंबर बुक करना पड़ता था।
Telephone Journey

10 वर्ष तक एंटीक फोन का उपयोग किया


चेतकपुरी निवासी डॉ. नीलकमल माहेश्वरी ने बताया कि 1950 में लंदन में साइमंस ब्रदर्स एंड कंपनी लिमिटेड का बनाया एंटीक फोन पिताजी लेकर आए थे। इसी फोन से सभी लोग बात किया करते थे, फिलहाल ये बंद हो गया है। रिसीवर अलग से कान पर लगाकर सुनते थे और इंस्ट्रूमेंट से बोलना पड़ता था। परिवार ने इस फोन को करीब 10 वर्ष तक उपयोग में लिया।

ऐसे होती फोन पर आपस में बातचीत


उस समय का टेलीफोन सेट भी अद्भुत था। बात करने के लिए बाकायदा हैंडल घुमाना पड़ता था, जिसके बाद मैग्नेट बोर्ड पर ऑपरेटर को सिग्नल मिलता था। तब ऑपरेटर उपभो€ता से बात करके उनके बताए नंबर पर कॉल लगाता था। धीरे-धीरे तकनीक में बदलाव आया और फोन को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी तो मांग भी बढ़ गई। लैंडलाइन फोन के लिए लोग बुकिंग कराते थे। नंबर आने में सालों लग जाते थे। जिसके घर फोन लग गया मानो वह वीआइपी हो गया। यह सिलसिला अस्सी के दशक संचार क्रांति के साथ थमा।

लैंडलाइन की वॉयस €क्वालिटी अच्छी होती थी


बाला बाई का बाजार निवासी बबलू गंडोत्रा ने बताया कि उस समय के लैंडलाइन फोन की क्€वालिटी काफी अच्छी हुआ करती थी। आज तो मोबाइल के नेटवर्क में परेशानी आ जाती है लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। मैंने लैंडलाइन फोन का करीब 15 वर्ष तक रिपेयरिंग का काम किया। अब लैंडलाइन फोन बहुत कम लोगों के पास दिखते हैं।

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