सनातन धर्म मंदिर और सनातन धर्म स्कूल एक ही परिसर में हैं, लेकिन परिसर में सफाई पर न तो स्कूल प्रबंधन द्वारा ध्यान दिया जाता है, न ही मंदिर प्रबंधन द्वारा सफाई कराई जाती है। मंदिर में आए दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है, ऐसे में श्रद्धालु कई प्रकार की सामग्री परिसर में ही छोडक़र चले जाते हैं, जिसकी सफाई नहीं होने के कारण कचरा सड़ता रहता है, जिससे दुर्गंध आने के कारण स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के लिए जो मैदान है, वहां पर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को खड़ा कराया जाता है, जिससे बच्चों को खेलने के लिए जगह नहीं मिलती है। स्कूल प्रबंधन द्वारा मंदिर प्रबंधन से परिसर मेें सफाई कराने की बात कही जाती है तो मंदिर प्र्रबंधन द्वारा कह दिया जाता है कि यह जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है, वहीं स्कूल प्रबंधन भी मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है, जिसके कारण स्कूल परिसर में फैली गंदगी से छात्रों को निजात नहीं मिल पा रही है। इसके लिए कई बार प्रयास भी किए गए हैं, लेकिन स्कूल और मंदिर प्रबंधन की खींचतान के कारण परिसर में सुधार होते हुए नहीं दिख रहा है। इधर, दोपहर ३ बजे स्कूल के गेट बंद हो जाने के बाद परिसर में असामाजिक तत्वों का जमघट लगने लगता है, जिनके द्वारा पूरे परिसर में गंदगी फैलाई जाती है, जिन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं रहता है। असामाजिक तत्वों द्वारा मनमानी कर व्यवस्थाओं को बिगाड़ा जा रहा है, जिसका खामियाजा स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।