भारतीय पंचांग के अनुसार श्रावण मास का प्रारंभ प्रतिपदा बुधवार 17 जुलाई से हो चुका है
सावन का पहला सोमवार कल : शिव पूजन के लिए चारों सोमवार हैं श्रेष्ठ, जानिए
ग्वालियर। इस वर्ष श्रावण मास 8 सोमवार का नहीं बल्कि केवल 4 सोमवार का रहेगा। श्रावण के ये चारों सोमवार शिवजी की पूजा आराधना के लिए श्रेष्ठ हैं। यह बात ज्योतिष आचार्य डॉ रामलखन महेरे शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा है कि आजकल सभी पंचांग दृश्य निर्णयन गणित से बनाए जाते हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार श्रावण मास का प्रारंभ प्रतिपदा बुधवार 17 जुलाई से हो चुका है। श्रावण मास का समापन पूर्णिमा गुरुवार 15 अगस्त को होगा।
इसे भी पढ़ें : सावन में बन रहे हैं कई विशेष योग, इन जातकों पर जमकर होगी धन की वर्षा 15 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार भी है। इस दिन भद्रा दोष न होने से संपूर्ण दिन रक्षाबंधन पर्व मनाना एवं राखी बांधना शुभ रहेगा। इसी दिन रात्रि को 9.27 बजे से पंचक का प्रारंभ होगा लेकिन पंचक का रक्षाबंधन पर्व से कोई संबंध नहीं होता। 16 अगस्त से भाद्रपद मास प्रारंभ हो जाएगा। इस वर्ष अधिक मास का संयोग नहीं है। पंचांगों के अनुसार अधिक मास का संयोग तीसरे वर्ष होता है।
इसे भी पढ़ें : जेयू कुलपति के बेतुके बोल, क्या तुमने सभी लड़कियों का ठेका ले रखा है इस वर्ष के श्रावण मास में किसी भी सोमवार को कोई विशिष्ट योग नहीं बना है। शिव पूजन के लिए सभी सोमवार अनुकूल हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में हरियाली अमावस्या गुरुवार 1 अगस्त को मनाई जाएगी, नाग पंचमी पूजा व्रत पर्व पंचमी सोमवार 5 अगस्त को मनेगा। श्रावण कृष्ण पक्ष का एकादशी व्रत 28 जुलाई रविवार को सभी अर्थात स्मार्त एवं वैष्णव का होगा। दूसरे दिन शाम प्रदोष लगेगा अत: दूसरे दिन प्रात: व्रत पारण करना उचित रहेगा। 29 जुलाई सोमवार को भगवान शिव का प्रदोष व्रत रहेगा। यश सोम प्रदोष होने से भगवान शिव पूजन करने के लिए विशिष्ट पर्व मान्य होगा।
इसे भी पढ़ें : पति को छोड़ दूसरे युवक के साथ भागी महिला, फिर इस हाल में मिलीब्राह्मणों का उपाकर्म पर्व 14 अगस्त को आचार्य डॉ महेरे के मुताबिक, इस वर्ष ब्राह्मणों का उपाकर्म पर्व 14 अगस्त बुधवार को मनाया जाएगा। इस पर्व में भद्रा दोष मान्य नहीं होता। ऋग्वेद एवं यजुर्वेद का पाठ-पारायण सभी ब्राह्मणों के लिए इसी दिन मान्य हैं। श्रावणी उपकर्म ब्राह्मणों का मुख्य पर्व एवं त्योहार होता है जो आज के समय में छूटता चला जा रहा है। यह इस दिन अनिवार्य रूप से मनाया जाना चाहिए।