80 लाख का एडवांस भुगतान
ट्रस्ट द्वारा मनमाने तरीके से कराए जा रहे मंदिर निर्माण के लिए एडवांस में 80 लाख रुपए का भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया। जबकि ठेकेदार ने वहां एक ईट भी नहीं रखी थी। इसके दो माह बाद ठेकेदार को फिर 35 लाख का भुगतान किया गया। मंदिर की संपत्ति का गबन भी किया गया है। इस मामले की जब रजिस्ट्रार से शिकायत की गई, तो उन्होंने भी मंदिर की संपत्ति की रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए। ट्रस्ट को नोटिस तक जारी नहीं किए गए।
मंदिर निर्माण करने से पूर्व प्रस्तावित मंदिर का नक्शा ट्रस्ट की साधारण सभा से मंजूर नहीं कराया गया। मंदिर निर्माण के लिए शासकीय विभागों से भी कोई अनुमति नहीं ली गई है। मंदिर का कुल क्षेत्रफल 900 वर्गफीट है, यहां 24 खंभे लगाए जा रहे हैं, जो 300 वर्गफीट की जगह घेर लेंगे, इस कारण जहां प्रत्येक दिशा से मंदिर के दर्शन संभव थे वह नहीं हो सकेंगे। मंदिर निर्माण के लिए किसी सक्षम आर्किटेक्ट से नक्शा तैयार नहीं कराया गया है, न ही इसकी मंजूरी ली गई। मंदिर निर्माण के लिए व्यय की जाने वाली राशि की मंजूरी न तो पंजीयक से ली गई है, न ही साधारण सभा ने इसे मंजूर किया है। इसके निर्माण पर सवा तीन करोड़ रुपए मनमाने तरीके से खर्च किए जा रहे हैं। उक्त राशि न्यास से अवैध तरीके से निकाली जा रही है। मंदिर निर्माण के लिए प्रारंभ में 2.90 करोड़ का ठेका दिया गया था, जिसे बढ़ाकर 3.25 करोड़ रुपए कर दिया गया। मंदिर में जिस पत्थर का उपयोग किया जा रहा है वह मंदिर के स्वभाव के विपरीत है। यह पत्थर निर्माण शुरू होने से पहले ही काला पडऩा शुरू हो गया था।
अचलेश्वर महादेव मंदिर शहर के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में है। यहां हर माह सोने-चांदी के जेवर लोग चढ़ाते हैं। मंदिर के पास लगभग एक करोड़ की ज्वेलरी है, जिसमें 4 किलो सोना है। इसे सुरक्षित रखने के लिए ट्रस्ट ने आज तक किसी बैंक में कोई लॉकर नहीं लिया है, न ही इनका कोई हिसाब है।
दान पेटियों का कोई लेखा जोखा नहीं
मंदिर की दानपेटियों का कोई लेखा जोखा नहीं है। रेजगारी को बिना गिने कट्टो में भरकर रख दिया जाता है। कुछ लोग इसमें से पैसे निकाल ले जाते हैं। चढ़ोतरी व सामान का कोई हिसाब-किताब मंदिर में नहीं रखा जाता है। इस कारण न्यास का मूल ध्येय असफल हो गया है।