क्या होता है एचएचडी
रिसर्च डिजाइन्स एंड स्टैंडड्र्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने करीब दस साल पहले ऐसे कोच बनाए थे। जो आपस में टकरा न सकेें। इन्हें लिंक हॉफमैन बुश एलएचबी कोच नाम दिया गया। इन टक्कर रोधी कोच का आलमनगर में सफल परीक्षण किया था। उसके बाद कोचों के डिजाइन में सुधार भी किया। एलएचबी कोचों और सीबीसी कपलिंग होने से ट्रेन के कोचों के पलटने और एक दूसरे पर चढऩे की गुंजाइश नहीं रहती है।
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कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम
कोच की खासियत इसमें बने कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम है इसकी वजह से गाड़ी के स्टेशन पर रुकने पर यह ट्रेन के शौचालय के दरवाजों को बंद कर देगी और खड़ी ट्रेन में यात्री शौचालय का इस्तमाल नहीं कर पाएंगे। टे्रन के स्टेशन से चलने के बाद शौचालय के गेट खुल सकेंगे। इससे स्टेशनों में सफाई व्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
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चमचमाते नल की टोटियां और आर्कषक गेट
ट्रेन के कोचों में चमचमाते नल और टोटियां लगी हुई हैं। वहीं इंटीरियर डिजाइन एल्यूमीनियम से की है। इसके साथ ही एसी कोचों में दूसरे कोचों से ज्यादा जगह इन कोचों में नजर आ रही है। वहीं दो कोचों को जोडऩे वाले गेट भी बिना हाथ लगाए ही ऑटोमेटिक खुलेगा।
ग्वालियर अहमदाबाद के बाद दूसरी ट्रेन होगी
इससे पहले ग्वालियर से चलने वाली ग्वालियर अहमदाबाद एक्सप्रेस में एलएचडी कोच लगाए गए हैं। इन कोचों की सफाई के साथ पूरा मेंटेनेंस के लिए रेलवे के कर्मचारी बाहर से प्रशिक्षण लेकर आए हंै।
यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे अधिकांश ट्रेनों में अब एलएचबी कोच लगाने जा रही है। इसी क्रम में अभी ग्वालियर में आठ कोच आ गए हैं।
मनोज कुमार सिंह, पीआरओ झांसी मंडल