गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया, शिष्यों में निराशा
16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा शहर में धूमधाम से मनाई जाएगी। गुरु की पूजा के लिए दूर-दूर से शिष्य आएंगे। सनातन धर्म में गुरु पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन अपने गुरु की पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं। आज रात 1 बजकर 32 मिनट से ग्रहण काल आरंभ हो जाएगा। चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले शाम 4.30 बजे से सूतक काल शुरू हो जाएगा, जो 17 जुलाई की सुबह 4.30 बजे तक रहेगा। सूतक काल में पूजा पाठ नहीं हो सकेगी। इसके चलते दोपहर तीन बजे के बाद पूजन निषेध रहेगा।
यह रहेगा दुर्लभ योग
पंडित नरेंद्र नाथ पांडेय के मुताबिक 16 और 17 जुलाई की रात को चंद्रग्रहण पर कुछ खास एवं दुर्लभ योग बनने जा रहे हैं। 1870 में अर्थात 149 साल पहले गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा था उस समय चंद्रमा की दशा शनि और केतु के साथ धनु राशि में स्थित थी, वहीं सूर्य राहु के साथ मिथुन राशि में था। यही दुर्लभ योग दोबारा आज 16 जुलाई की रात को बन रहा है।
यह कार्य रहेंगे वर्जित
ग्रहण के बाद यह करें उपाय
पंडितों के मुताबिक यदि घर में कोई लंबे समय से बीमारी है तो ग्रहण के बाद घी और खीर से हवन आदि करने से से लाभ होता है। इसी तरह चंद्रमा कमजोर स्थिति में है तो ओम चंद्राय नम: मंत्र का जाप करने से लाभ मिलेगा। वहीं ग्रहण के दौरान प्राणायाम और व्यायाम करना चाहिए, सोच को सकारात्मक रखना चाहिए। चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिडक़ाव करना चाहिए। स्वयं स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए। भगवान की मूर्तियों को स्नान करा कर उनकी पूजा करें। जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मणों को अनाज का दान करने से लाभ होता है।
राशियों पर ग्रहण का असर
इस बार चंद्रग्रहण का शुभारंभ धनु राशि और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होने जा रहा है और यह मकर राशि में उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में समाप्त होगा। यह खण्डग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वाले जातकों के अलावा धनु और मकर राशि वाले व्यक्तियों के लिए परेशानी ला सकता है। इसके अलावा मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या और वृश्चिक राशि वालों के लिए ठीक नहीं है।