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ग्वालियर

शक्कर कारखाना चलाना है तो किसान कंपनी बनाएं

ग्वालियर-चंबल संभाग के मुरैना जिले कैलारस शक्कर कारखाने की शक्कर की मिठास की गूंज पूरे देश में बनी हुई थी, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार की ऐसी मंशा है कि शक्कर कारखाने को बेककर अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाया जा सके।

ग्वालियरJan 29, 2022 / 11:57 pm

राजेश श्रीवास्तव

शक्कर कारखाना चलाना है तो किसान कंपनी बनाएं

शक्कर कारखाना चलाना है तो किसान कंपनी बनाएं

ग्वालियर. शक्कर कारखाना स्थापित होने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल के 50 हजार के करीब परिवार गन्नो की खेती किया करते थे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार भी हुआ। इतना ही नहीं करीब 1500 मजदूर भी शक्कर कारखाने में कार्यरत थे। मुरैना-ग्वालियर के बाजार भी गुलजार रहते थे। मुरैना जिले के कैलारस में बना शक्कर कारखाना पिछले दस वर्ष से बंद है। सरकार ने इसे पीपी मोड़ में चलाने का निर्णय लिया था, परन्तु अभी कारखाने की मशीनरी बेचने का टेंडर आ गया है।
अत: शासन से या पीपी मोड़ में भी चलाने की संभावना समाप्त हो गई है। कारखाने के पूर्व महाप्रबंधक एमडी पाराशर ने क्षेत्रीय कृषकों व व्यापारियों का आह्वान किया कि किसान कंपनी बनाकर कारखाना चलाने का प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत करें और नीलामी को निरस्त कराएं। इस प्रस्ताव पर कृषक व भाजपा नेता रामलाल धाकड़, रामलखन धाकड़, राजेन्द्र शुक्ला, नागेश शर्मा आदि ने 26 जनवरी को क्षेत्र के प्रमुख किसानों व कृषक नेताओं व निवेशकों की बैठक कान्हा गार्डन कैलारस में बुलाई।
बैठक में बनवारी शुक्ला अध्यक्ष मार्केटिंग सोसाइटी, जनपद अध्यक्ष रामअवतार त्यागी व कई बड़े कृषक सहित लगभग तीस गांवों के लगभग 100 किसान व निवेशक उपस्थित हुए। बैठक की अध्यक्षता नगर के वरिष्ठ व्यापारी चिरोंजीलाल सिंहल ने की। मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता एमडी पाराशर थे। इस अवसर पर आयुर्वेदिक कॉलेज के सेवानिवृत्त डीन डॉ. सीपी शर्मा भी उपस्थित थे।
कभी रहते थे मुरैना ग्वालियर बाजार गुलजार

शक्कर कारखाना स्थापित होने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल के 50 हजार के करीब परिवार गन्नो की खेती किया करते थे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार भी हुआ। इतना ही नहीं करीब 1500 मजदूर भी शक्कर कारखाने में कार्यरत थे। मुरैना-ग्वालियर के बाजार भी गुलजार रहते थे। कैलारस शक्कर कारखाने की शक्कर की मिठास की गूंज पूरे देश में बनी हुई थी, लेकिन वर्तमान सरकार की ऐसी मंशा है कि शक्कर कारखाने को बेककर अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाया जा सके।
गांव-गांव जाकर कृषकों से नामजद कराने का संकल्प

कारखाने पर देनदारियां चलाने के लिए संसाधन संभावित वित्तीय परिणाम बंद होने के कारण आवश्यक गन्ने की मात्रा पंूजी आदि विषय पर उपस्थित किसानों व निवेशकों द्वारा जानकारी चाही गई, प्रश्न किए गए। जिनका पाराशर ने समाधान किया। कैलाश मित्तल, सिंहल, बनबारी शुक्ला, मातादीन सर्राफ द्वारा किसान कंपनी के माध्यम डेयरी वेयर हाउसिंग व अन्य कृषि आधारित व लाभकारी व्यवसायों की संभावना भी बताई गई। अंत में प्रथमत: न्यूनतम 20 करोड़ रुपए की पंूजी व पांच हजार हेक्टेयर में गन्ना उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया, जिसमें मौके पर ही दस करोड़ रुपए देने का संकल्प निवेशकों द्वारा व्यक्त किया। किसानों द्वारा भी गांव-गांव जाकर कृषकों से नामजद कराने का संकल्प लिया तथा एक हजार हेक्टेयर के लिए उपस्थित किसानों व नेताओं ने मौके पर ही संकल्प व्यक्त किया।
लक्ष्य पूर्ति के लिए समितियां गठित
लक्ष्य पूर्ति के लिए गन्ना उत्पादन के लिए एक समिति का गठन किया गया तथा एक समिति वित्त प्रबंधन के लिए बनाई गई। यह समितियां जनवरी माह में ही लक्ष्य पूर्ति कराने का प्रयास करेगी। इसके उपरांत किसान व निवेशकों को आभार व्यक्त किया गया।
1200 से ज्यादा कर्मचारी जुड़े से कारखाने में रोजगार से।
5 हजार से ज्यादा किसान भी गन्ना उत्पादन कर कारखाने से पलते थे।
80 लाख रुपए से ज्यादा बकाया है किसानों का कारखाना प्रबंधन पर।
03 करोड़ से ज्यादा की राशि राज्य शासन की भी बकाया है।

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