जिले में अभी पायलट प्रोजेक्ट के बाद भी सिर्फ एक फीडर पर ही विद्युत प्रहरी की शुरूआत की गई है। इसके सफल नतीजों पर अभी बिजली अधिकारी ही संतुष्ट नही हैं। वे कहते हैं फिलहाल औसत परिणाम हैं, आगे देखते हैं, इसका कितना फायदा होता है।
प्रोजेक्ट अगस्त 2021 में लाया गया लेकिन छतरपुर में विद्युत प्रहरी का काम दिसंबर से शुरू होना बताया जाता है। अभी यहां केवल दो फीडर पर ही विद्युत प्रहरी बैठाए गए हैं।
जिले में बिजली नुकसान को लेकर कंपनी के एमडी ने यहां उपमहाप्रबंधक सहित तीन को निलंबित कर दिया था। एमडी ने खुद कटिया डालकर बिजली चोरी होते हुए देखी थी। इस जिले में विद्युत प्रहरी प्रोजेक्ट फेल नजर आ रहा है।
बिजली कंपनी ने इन जिलों में उन विद्युत फीडर या ट्रांसफॉर्मर के आधार पर विद्युत प्रहरी बैठाए थे, जिनमें बिजली चोरी ज्यादा थी। पायलट प्रोजेक्ट एक साल के लिए है, इसके लिए आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से विद्युत प्रहरी तैनात किए गए।
इस पायलट प्रोजेक्ट के पीछे उद्देश्य बिजली का नुकसान रोकना, बिजली के अवैध इस्तेमाल पर नियंत्रण रखना और राजस्व संग्रहण यानी बिजली बिल का बकाया वसूली करना था। इसमें भिंड, मुरैना, छतरपुर, टीकमगढ़, आगर और शाजापुर जिलों को लिया गया था। बिजली कंपनी की मानें तो इन जिलों में बिजली के वैध कनेक्शन कम थे।