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ग्वालियर

शहर में भी हैं फिल्म ‘सुपर 30’ के आनंद, जो शिक्षित कर संवार रहे बच्चों का जीवन

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5 years ago
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लोगों की मदद से 10 स्कूल्स की बदल चुके दशा

हमने कृष्णा नगर बस्ती पर 2015 में क्लास की शुरुआत की थी। तब स्लम एरिया से महज 3 बच्चे आते थे और कुछ ही समय में देखते-देखते 300 बच्चे हो गए। इसके बाद हमने पैरेंट्स को मोटिवेट करते हुए स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराने पर फोकस किया। हमारे ग्रुप में 25 एक्टिव मेंबर्स हैं। इस समय बच्चों को एजुकेट करने के साथ ही हमारी टीम ओरल हेल्थ अवेयरनेस मिशन, नो स्मोकिंग अवेयरनेस कैंप, मिशन एडमिशन, चप्पल बैंक, मानवता मिशन एजुकेशन पर काम कर रही है। हमारे द्वारा स्टूडेंट्स को जनरल नॉलेज की सीट बनाकर दी जाती है, जिसका हम टेस्ट लेते हैं। एक सीट में 50 क्वेश्चंस होते हैं। यह सीट पांच लेवल तक होती है। अभी तक हमारी टीम लोगों की मदद से 10 स्कूल्स में काम कर चुकी है। बच्चों को एडमिशन दिलवाने के साथ ही वहां स्टडी मैटेरियल, स्पोट्र्स मैटेरियल अवेलेबल कराया गया है।

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70 गवर्नमेंट स्कूल्स में बना दिया डिजिटल लर्निंग क्लासरूम

मैंने 2014 में सिटी सेंटर में स्लम एरिया और शेल्टर होम के बच्चों को पढ़ाने से शुरुआत की थी। उस समय हमारी टीम के मेंबर्स वीकेंड में क्लास लेते थे। उस समय लगभग हमारे पास 200 स्टूडेंट्स थे। इसके बाद मुझे लगा कि कुछ बड़ा करना चाहिए, जिससे केवल 200 नहीं बल्कि हजारों बच्चों को लाभ मिले। तब मैंने ऑर्गेनाइजेशन से मिलकर गवर्नमेंट स्कूल में बदलाव लाने का प्लान बनाया और 70 स्कूल में डिजिटल लर्निंग क्लासरूम बनाने का जिम्मा लिया। ये स्कूल तैयार हो चुके हैं, जिनमें से अधिकतर गांवों में हैं। इन स्कूल्स की मॉनीटरिंग हमारी टीम करती है। यहां हमने कुछ ही समय में बड़ा बदलाव देखा है। अब हमने भोपाल और नोएड में भी गवर्नमेंट स्कूल लिया है, जिस पर काम चल रहा है।

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चार स्लम एरिया पर 22 मेंबर्स पढ़ा रहे बच्चों को

हमारी टीम में कुल 22 मेंबर्स हैं, जो कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स हैं। हमारी टीम टिल्लू बाबा की पहाड़ी में 53 बच्चे, रामा जी का पुरा में 46, शोभा नगर में 130 और कैंसर पहाड़ी पर 18 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये सभी बच्चे स्लम एरिया के हैं, जो 6 साल से 12 साल तक के हैं। हमारी टीम द्वारा डेली क्लास ली जाती है। बच्चों को मैथ्स, इंग्लिश और हिंदी पढ़ाई जाती है। हमारी यह क्लास लगभग एक साल से चल रही हैं। 2016 में मैंने शुरुआत संडे टू संडे क्लास लेने से की थी, जिसमें फ्रेंड्स जुड़ते गए और आज सैकड़ों बच्चे हमसे जुडकऱ सही दिशा पर जा चुके हैं।

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