बीमारी का इलाज जेल में होने से नहीं मिली डॉ. बीके शर्मा को जमानत
हाईकोर्ट ने डॉ. बीके शर्मा के जमानत आवेदन को खारिज कर जेल प्रशासन को निर्देश देते हुए कहा अन्य कैदियों की तरह ही दें उपचार
ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने स्नेहालय में नि:शक्त बालिकाओं के साथ हुए यौन उत्पीडऩ के मामले में मुख्य आरोपी डॉ. बीके शर्मा के दूसरे जमानत आवेदन को भी खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने जेल प्रबंधन को निर्देश दिए कि आरोपी को अन्य बंदियों की तरह ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने आरोपी डॉ. शर्मा के जमानत आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि औसत बीमारी के आधार पर जिसका उपचार जेल में संभव है आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। लेकिन जेल प्रशासन आरोपी के स्वास्थ्य पर निगरानी रखेगा तथा अन्य कैदियों की तरह ही उसकी देखभाल भी करेगा। उसे आवश्यकता अनुसार उपचार उपलब्ध कराया जाए। डॉ. शर्मा ने उच्च न्यायालय में इस दूसरे जमानत आवेदन को पेश करते हुए कहा कि उसे उच्च रक्तचाप एवं बबासीर की बीमारी है, उसकी उम्र 70 साल है,
वह समाज का प्रतिष्ठित व्यक्ति है, इसलिए उसे उपचार के लिए जमानत प्रदान की जाए। इस मामले में शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता रिषीकेश दत्त मिश्रा ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के कृत्य को देखते हुए उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जाए। आरोपी पहले भी सेंट्रल जेल की कैद से बचने के लिए बीमारी के आधार पर तीन माह तक अस्पताल में रहा। इससे पहले भी इस मामले में तीन आरोपियों के जमानत आवेदन खारिज कर चुका है। आरोपी ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत चाही थी इसलिए अदालत ने जेल के डॉक्टर को भी तलब किया था।
यौन उत्पीडन के मामले में डॉ शर्मा को पुलिस ने 21 सितंबर 18 को गिरफ्तार किया था, इसके बाद से ही वह जेल में है। आरोपी के खिलाफ धारा 312, 313, 376 तथा 120 बी और 201 के अपराध में मामला दर्ज किया गया है। जेल में बंद डॉ विपिन साहू एवं प्रभा यादव के जमानत के आवेदन को उच्च न्यायालय खारिज कर चुका है।
यह है मामला
अड़ूपुरा स्थित स्नेहालय में चौकीदार द्वारा एक मूक बधिर युवती के साथ दुष्कर्म किया गया था, इस बात की जानकारी प्रबंधन को तब लगी जब वह गर्भवती थी। इसके बाद प्रबंधन ने इस युवती का गर्भपात कराते हुए उसके भू्रण को जला दिया था।
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