सिक्किम विधानसभा चुनावी माहौल
सिक्किम की एक मात्र लोकसभा सीट पर पिछले 25 सालों से राज्य में सत्तारूढ़ सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ़) का कब्जा हैं। वर्तमान में एसडीएफ़ के डॉ. डी पी राय सिक्किम लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और तीसरी बार के लिए फिर से एसडीएफ़ के उम्मीदवार हैं। सिक्किम में पिछले 25 सालों से पवन कुमार चमलिंग के नेतृत्व में सिक्किम लोकतान्त्रिक मोर्चा (एसडीएफ़) सत्तारूढ़ हैं। पवन चमलिंग लगातार 6 वीं बार के लिए एसडीएफ़ की फिर से सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ेंगे। उनको चुनौती देने के लिए विपक्ष के पास न तो नेता हैं और नहीं मजबूत पार्टी हैं। राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा दो और स्थानीय दल भी राजनीतिक मैदान में हैं जिनमें सिक्किम क्रांतिकारी पार्टी (एसकेपी) और बाईचुंग भूटिया की हमरो सिक्किम पार्टी (एचएसपी) के अलावा करीब 8 और राजनीतिक दल भी पंजीकृत हैं। राज्य में फिलहाल कोई चुनाव गठबंधन नही बना हैं। सभी दल अलग—अलग ही चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य में दोनों चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़े जा रहे हैं। राज्य में इस बार भी सत्तारूढ़ एसडीएफ़ के खिलाफ सात्तविरोधी लहर या माहौल नहीं हैं।
मौजूदा विधानसभा में एसकेपी 9 एमएलए के साथ एकमात्र विपक्षी पार्टी हैं। राज्य विधानसभा में सिर्फ दो ही दलों का प्रतिनिधित्व हैं सत्तारूढ़ एसडीएफ़ और विपक्ष में एसकेपी हैं। सिक्किम देश में एकमात्र राज्य जिसमें शुरू से ही स्थानीय राजनीतिक दल की सरकार रही हैं। पहली बार राज्य में लेंधूप दोरुजी काज़ी की सिक्किम नेशनल कॉंग्रेस (एसएनसी) ने अप्रैल 1974 में सरकार बनाई थी। इसके बाद 1979 के विधानसभा चुनाव में नर बहादुर भण्डारी के नेतृत्व में सिक्किम जनता पार्टी (एसजेपी) ने सरकार बनाई थी। 1994 में राज्य की 5वीं विधानसभा के चुनाव में एसडीएफ़ को बड़ी जीत मिली और पवन चमलिंग राज्य के मुख्यमंत्री बने। बीते 25 साल से चमलिंग के नेतृत्व में एसडीएफ़ की सरकार हैं। हालांकि राज्य में बीजेपी और एसकेपी के बीच 15 दिन पुराना चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया हैं। राज्य में एसडीएफ़ के मुक़ाबले में न तो कोई मजबूत राजनीतिक दल या गठबंधन हैं और न ही मुख्यमंत्री पवन कुमार चमलिंग के खिलाफ कोई दमदार नेता हैं।
अरुणाचल में विधानसभा और लोकसभा चुनावों का माहौल
अरुणाचल में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में त्रिकोणीय चुनावी मुक़ाबला होने जा रहा हैं। लोकसभा की 2 सीटों और 60 विधानसभा सीटों पर मुख्य मुक़ाबला सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा। वर्तमान राज्य विधानसभा में कांग्रेस का एकमात्र विधायक हैं तो बीजेपी के 48 विधायक हैं। विधानसभा में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) के 5 विधायक हैं और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के 5 विधायक हैं लेकिन दोनों स्थानीय दल अलग – अलग ही विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पीपीए ने कांग्रेस के साथ राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन करने से मना कर दिया हैं। इस प्रकार इस बार राज्य में विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुक़ाबला होने की संभावना हैं।
राज्य की दो लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी हैं। अरुणाचल पश्चिम सीट से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री नबाम टुकी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू के खिलाफ उतारा हैं। नबाम टुकी 2011-2016 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। इस बार अरुणाचल पूर्व सीट से कांग्रेस ने पूर्व राज्य मंत्री जेम्स लोवगचा को उम्मीदवार बनाया हैं। इस सीट से कांग्रेस के मौजूदा एमपी निनोंग एरिंग ने राज्य राजनीति में वापसी करने के लिए पासीघाट पश्चिम से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी हैं। अभी बीजेपी ने अरुणाचल पूर्व से उम्मीदवार की घोषणा नही की हैं। राज्य में गृहमंत्री कुमार वल्ली और मुख्यमंत्री पेमा खांडु के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की बयानबाजी चल रही हैं। बीजेपी नेताओं के बीच राज्य में एनपीपी के नेता टांगा ब्यालिंग कांग्रेस में शामिल हो गए और साथ में आधा दर्जन राज्य सरकार के पूर्व अधिकारी भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं। राज्य में इस बार स्थायी निवासी प्रमाणीकरण (पीआरसी) प्रमुख चुनावी मुद्दा रहेगा।