मंगलदै संसदीय सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17,75,182 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9,12,352 और महिला मतदाताओं की संख्या 8,62,801 है। इस संसदीय सीट में हिंदू मुस्लिम, बोड़ो, आदिवासी और बंगाली मतदाता काफी संख्या में हैं। भाजपा के दिलीप सैकिया के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार कर चुके हैं, पर कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने अब तक भुवनेश्वर कलिता के लिए प्रचार नहीं किया है।
मंगलदै संसदीय सीट में दस विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें कमलपुर, रंगिया, नलबाड़ी, पानेरी, कलाईगांव, सिपाझार, मंगलदै, दलगांव, उदालगुड़ी और माजबाट शामिल है। इनमें भाजपा के पास चार,भाजपा की सहयोगी बोड़ो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के पास चार और कांग्रेस तथा अगप के पास एक-एक सीट है। भाजपा के पास रंगिया, नलबाड़ी, सिपाझार और मंगलदै विधानसभा सीटें हैं तो बीपीएफ के पास पानेरी, उदालगुड़ी, माजबाट और कलाईगांव सीटें हैं। कांग्रेस के पास दलगांव और अगप के पास कमलपुर सीट है। भाजपा और उसके गठबंधन के पास नौ विधानसभा सीटें हैं। इस तरह दबदबा भाजपा का है।
भाजपा के दिलीप सैकिया और कांग्रेस के भुवनेश्वर कलिता के अलावा मैदान में हिंदुस्तान निर्माण दल के मणिराम बसुमतारी, वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के गंधेश्वर मुसाहारी, असम जनमोर्चा के आइनुल हक, एसयूसीआई(यू) की स्वर्णलता चालिहा, तृणमूल कांग्रेस के शुधेंधु मोहन तालुकदार, यूनाईटेड पीपुल्स पार्टी लिबरेल(यूपीपीएल) के प्रदीप कुमार दैमारी, भारतीय गण परिषद के बीरेन बसाक, निर्दलीय जयंत कुमार कलिता और काजी नेकिब अहमद हैं। इनमें से कांटे की टक्कर भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच ही होगी। पर नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद भुवनेश्वर कलिता की भूमिका अहम रही है।इसलिए असमिया और मुस्लिम वोट उन्हें काफी मिलने की उम्मीद है। बोड़ो वोट भाजपा और यूपीपीएल उम्मीदवार के बीच विभाजित होंगे। वहीं इस बार इस सीट पर एआईयूडीएफ ने उम्मीदवार नहीं उतारा है। 2014 के चुनाव मे एआईयूडीएफ उम्मीदवार परेश वैश्य को 74,710 वोट मिले थे। उस वर्ष अगप और बीपीएफ ने भी अलग उम्मीदवार उतारे थे। अगप के माधव राजवंशी को 66,467 और बीपीएफ के सहदेव दास को 86,347 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार किरीप चालिहा भाजपा के रमेन डेका से 22,884 वोटों से चुनाव हार गए थे।
मंगलदै संसदीय सीट पर इस बार पूरा परिदृश्य ही बदला हुआ है। अगप और बीपीएफ दोनों भाजपा के साथ है। मुस्लिम वोटों के विभाजन के कम ही आसार है। ऐसे में भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला बड़ा मजेदार होगा। कौन जीतेगा यह 23 मई को ही साफ होगा।