मतिभ्रम से लोग होते कन्फ्यूज
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि इंसेफेलाइटिस के बारे में राज्य भर में और अधिक जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है। अधिकारी के अनुसार जब किसी व्यक्ति को जैपनीज इंसेफेलाइटिस होता है तो उसे तेज बुखार आ जाता है। इसके बाद उनमें मतिभ्रम देखा जा सकता है। इस तरह का होने से परिवार के लोगों मेडिकल स्थिति को मनोवैज्ञानिक संबंधी मानते हैं। अंदरूनी इलाकों में लोग इसके लिए झोलाछाप डाक्टरों या झाड़-फूंक करने वालों का सहारा लेते हैं। इससे जैपनीज इंसेफेलाइटिस के लिए समय पर होने वाले इलाज में देर हो जाती है और रोगी के बचने की संभावना बेहद कम होती है। अधिकारी ने बताया कि हाल ही में ग्वालपाड़ा में एक 25 वर्षीय महिला की मौत समय पर इलाज न कराने के कारण हुई। जब महिला में मतिभ्रम दिखाई पड़ा तो महिला का परिवार पहले इलाज के लिए उसे स्थानीय वैद्य के पास ले गया। बाद में वे महिला को एक मनोचिकित्सक के पास ले गए। इससे उनका काफी समय बर्बाद हो गया। बाद में पता चला कि वह तो जेई से पीडि़त है। तब तक देर हो चुकी थी। इसी जिले में मानसिक रूप से बीमार एक युवती भी जैपनीज इंसेफेलाइटिस से मारी गई, क्योंकि उसका इलाज भी परिवार वालों ने समय पर नहीं कराया। परिवार वाले मतिभ्रम वाले पक्ष की अनदेखी करते रहे। इस अधिकारी ने बताया कि जागरुकता ही जैपनीज इंसेफेलाइटिस की रोकथाम में कारगर साबित हो सकती है।
नाकाफी है फॉगिंग का उपाय
फॉगिंग से किसी एक इलाके में जापानी इंसेफेलाइटिस को पूरी तरह खत्म करना कारगर साबित नहीं हो सकता। जब किसी इलाके में जापानी इंसेफेलाइटिस के रोगी पाए जाते हैं तो उस इलाके में फॉगिंग की जाती है। जेई से बचने का एकमात्र तरीका आत्म सुरक्षा है। गोधूलि बेला वह महत्वपूर्ण समय है जब उस दौरान काटे गए मच्छरों से जैपनीज इंसेफेलाइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए इस दौरान हमें खुद को मच्छरों के काटने से बचाना चाहिए। दूसरी ओर अधिकारी ने बताया कि फॉगिंग में इस्तेमाल होने वाला रासायनिक पदार्थ शरीर के लिए उचित नहीं है। इससे अन्य प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। जैपनीज इंसेफेलाइटिस पशुजन्य बीमारी है, जहां क्यूलेक्स मच्छर पशु का ही खून पीने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है। मनुष्य को तो वे अचानक शिकार बना लेते हैं। इसलिए हम इस बीमारी को बड़ी आसानी के साथ रोक सकते हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य जागरुकता अभियान चलाया है। इस तरह के एक शिविर के लिए राज्य सरकार ने एक-एक लाख रुपए दिए हैं।