जिनका नाम नहीं उनके लिए क्या होगा?
एनआरसी में नाम न रहने वाले लोगों के लिए क्या होगा,इस पर विचार के लिए केंद्र ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। उधर फिर से आवेदन करनेवाले लोगों के बायोमैट्रिक लिए जाएंगे। वहीं केंद्र सरकार ने असम में रह रहे दूसरे राज्यों,निर्दिष्ट सीमा जो कि (बांग्लादेश) मूल के नहीं हों,के लोगों को अपने नाम पूर्ण एनआरसी में शामिल करने के दावों और आपत्तियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी) में विशेष सहूलियत दी है। ऐसे लोगों के लिए 24 मार्च 1971 के पहले यहां आया हुआ होने की बाध्यता नहीं है। यह एसओपी एनआरसी में किसी भी वास्तविक भारतीय का नाम शामिल होने से वंचित नहीं रह पाने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
दूसरें राज्यों के निवासी न रहे वंचित इसका कर रहे पूरा प्रयास
एनआरसी राज्य संयोजक प्रतीक हाजेला के मुताबिक इस बात का पूरा ध्यान दिया जा रहा है कि अंतिम ड्राफ्ट एनआरसी से बाहर हुए किसी भी भारतीय नागरिक का नाम पूर्ण एनआरसी में शामिल होने से वंचित नहीं हो। नागरिकता (नागरिकों के पंजीकरण और राष्ट्रीय परिचय पत्र निर्गत) नियम,2003 की धारा 3(3) के तहत यह विशेष प्रावधान असम के मूल निवासी आवेदकों के लिए लागू है। हाजेला ने कहा कि दावेदारों से दो खास बातें अपने दावों में अंकित करने का अनुरोध किया गया है। यह कि वे भारत के दूसरे राज्य के मूल नागरिक हैं और निर्दिष्ट सीमा यानी बांग्लादेश मूल के नहीं हैं। इसी के साथ उन्हें अपने राज्य का नाम भी लिखना होगा।एसओपी या मौजूद सांविधिक प्रावधान के तहत प्रस्तावित किसी अन्य विशेष प्रावधान का लाभ उठाने के लिए प्रासंगिक जानकारी प्रदान करनी होगी।गलत जानकारी देनेवाले के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई होगी।