बता दें कि सनाउल्लाह शनिवार को असम के हिरासत शिविर से रिहा हुए थे। उन्हें यह जमानत 20 हजार रुपए के जमानत बॉन्ड और 2 स्थानीय जमानतदार दी गई। सनाउल्लाह को गत महीने विदेशी घोषित कर डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया था।
सनाउल्लाह ने कहा, ईद पर मैं परिवार के साथ नहीं था, लेकिन आज हूं। मैं बहुत खुश हूं। मुझे न्याय पर पूरा यकीन है। सनाउल्लाह को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ शुक्रवार को जमानत दी थी। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया।
बता दें कि 1951 में बनाए गए एनआरसी रजिस्टर को घुसपैठियों को बाहर करने के उद्देश्य से अपडेट किया जा रहा है। एनआरसी के नियमों के अनुरूप नहीं पाए जाने पर 28 मई को सनाउल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया था। सनाउल्लाह (52) भारतीय सेना से बतौर मानद लेफ्टिनेंट सेवानिवृत्त हुए थे। सनाउल्लाह ने 30 साल तक सेना को सेवा दी।
इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति पदक भी प्रदान किया गया था। इसके बाद वे असम बॉर्डर पुलिस में शामिल हो गए। उन्हें पिछले महीने गिरफ्तार कर एक नजरबंदी केंद्र में रखा गया था। उन पर विदेशी होने और देश में अवैध रूप से रहने का आरोप लगाया गया। करीब साल भर पहले असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का पूर्ण मसौदा जारी किया गया था। इसमें सनाउल्लाह सहित लगभग 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि असम में एनआरसी को अंतिम रूप देने की समय सीमा 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।