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मेघालय की दो स्वायत जिला परिषदों के चुनाव 27 को

locationगुवाहाटीPublished: Feb 21, 2019 09:04:59 pm

मेघालय की तीनों स्वायत्त जिला परिषद संविधान की 6 वीं अनुसूची के अंतर्गत शक्तियां रखती है…

evm file photo

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(शिलोंग,सुवालाल जांगू): मेघालय की खासी और जयंतियां हिल्स काउंसिल के लिए चुनाव 27 फरवरी को होंगे। मतों की गणना 2 मार्च को होगी। खासी परिषद् की कुल 29 और जयंतियां परिषद् की 27 सीटों के लिए क्रमश: 131 और 99 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। दोनों परिषदों की कुल 56 सीटों पर 230 प्रत्याशी खड़े है, जिनमें केवल 8 महिलाएं शामिल है। जो कुल प्रत्याशियों का मात्र 3.5 फीसदी है।


खासी परिषद् में 7 महिलाएं और जयंतियां परिषद् में केवल एक महिला प्रत्याशी है। दोनों परिषदों में कुल 37 निर्दलीय प्रत्याशी भी भाग्य अजमा रहे है। इनमें खासी परिषद् में 18 और जयंतियां में 19 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे है। राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने खासी परिषद् में सभी 29 सीटों पर और जयंतियां परिषद् में केवल 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारे है। वहीं मुख्य सत्तारूढ़ दल एनपीपी ने खासी परिषद् में 26 और जयंतियां परिषद् की सभी 27 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा राज्य में एमडीए के अन्य सहयोगी दलों यूडीपी, पीडीएफ और एचएसडीपीपी ने दोनों परिषदों की कुछ सीटों पर ही चुनाव लड़ रहे। खासी परिषद् की एक सीट से मौजूदा यूडीपी के एमएलए भी चुनाव लड़ रहे है। राज्य के सभी राजनीतिक दल– क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल, नेडा और एमडीए के सभी सहयोगी दल इन दोनों परिषदों के चुनाव अलग अलग ही लड़ रहे है।

 

संविधान की 6 वीं अनुसूची के अधीन है स्वायत जिला परिषदें

मेघालय की तीनों स्वायत्त जिला परिषद संविधान की 6 वीं अनुसूची के अंतर्गत शक्तियां रखती है। अभी हाल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर की 6 वीं अनुसूची में आने वाली 10 स्वायत्त जिला परिषदों को ज्यादा वित्तीय, प्रशासनिक और अन्य विषयों से संबंधित शक्तियों देने के लिए एक संविधान संशोधन बिल का प्रस्ताव पास किया था। जिसमें संविधान के अनुच्छेद 280, राज्य चुनाव आयोग और 6वीं अनुसूची में संशोधन किया जाना है। हालांकि इस बिल को संसद की स्वीकृति नहीं मिली है। स्वायत्त जिला परिषद के चुनाव के समय आदर्श आचार संहिता का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन फिर भी राज्य सरकार ने अपनी तरफ से चुनावी आचार संहिता लागू की है। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि जिला परिषद के चुनावी खर्चों का भार खुद परिषद् अपने बजट से ही वहन करती है। राज्य सरकार की तरफ से कोई चुनावी खर्च अनुदान नहीं मिलता है। हालांकि राज्य सरकार परिषद् के लिए प्रशासनिक और विकास के लिए बजट में धनराशि का आवंटन करती है।


नए प्रस्तावित 6 वीं अनुसूची संशोधन बिल में एडीसी को राज्यों से मिलने वाला अनुदान बंद हो जायेगा। क्योंकि एडीसी की ग्रामीण और स्थानीय परिषदों को भी केंद्र से सीधा वित्तीय अनुदान मिलेगा। हालांकि राज्य में कांग्रेस ने केंद्रीय केबिनेट के प्रस्तावित 6वीं अनुसूची संशोधन बिल में मेघालय को एडीसी का नाम परिवर्तन करने का विरोध किया है। प्रस्तावित बिल में एडीसी नाम में से जिला शब्द की जगह प्रादेशिक शब्द रखा है। साथ में एडीसी में ग्राम पंचायत के समान ही प्रशानिक ढांचा के गठन किया जायेगा जिसमें स्थानीय और ग्रामीण परिषद् के विभिन्न पदों के लिए चुनाव होंगे। राज्य के कई राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने इन प्रस्तावित प्रावधानों का विरोध किया है। राज्य के जनजाति नागरिक संगठनों ने ग्रामीण और स्थानीय परिषदों के परम्परागत संस्थानों को बनाए रखना चाहते है।


नागरिकता संशोधन बिल से उत्पन्न हुए नए राजनीतिक परिदृश्य में हो रहे है ये चुनाव नागरिकता संशोधन बिल के विरोध और इसके राज्य सभा से पास न होने के बाद पूर्वोत्तर में पहला चुनाव होने जा रहा है। इस बिल के विरोध में उपजा परिदृश्य ने क्षेत्र में राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया है। इन नए समीकरणों का प्रभाव मेघालय की इन दो जिला परिषदों के चुनावों पर भी दिखाई दे रहा है।


मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी यूडीपी ने नागरिकता बिल के विरोध और राष्ट्रीय राजनीति दलों से अलग पूर्वोत्तर क्षेत्र के हितों के लिए क्षेत्रीय दलों का एक नया गठबंधन ‘पूर्वोत्तर सेक्युलर फ्रंट’ बनायाा है जिसमें यूडीपी के अलावा असम गण परिषद और मिजो नेशनल फ्रंट जैसे क्षेत्रीय दलों के नेता शामिल हुए है। राज्य में इन चुनावों में भाजपा अलग थलग पड़ गई है।

 

2016 में भाजपा ने पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय दलों को लेकर ‘पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन’ नेडा बनाया था वो मेघालय में इन चुनावों में निष्क्रिय लग रहा है। मेघालय के सहयोगियों में से यूडीपी और पीडीएफ ने नागरिकता बिल के विरोध में नेडा से पहले ही बाहर हो गए है और एनपीपी ने भी बीजेपी से दूरी बना ली है। मेघालय का सत्तारूढ़ लोकतांत्रिक गठबंधन-एमडीए के सभी सहयोगी दल इन परिषदीय चुनावों को अलग अलग ही लड़ रहे है। राज्य में पूर्व कांग्रेस एमएलए और बीजेपी के नेता पी डब्लयू कंगजीत ने वापिस कांग्रेस में शामिल हो गए है।

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