scriptअसम के चाय बागान के दो सौ साल के इतिहास को तोड़ पहली महिला मैनेजर बनी मंजू बरुवा | Manju baruva become first female manager of assam Tea plantation | Patrika News

असम के चाय बागान के दो सौ साल के इतिहास को तोड़ पहली महिला मैनेजर बनी मंजू बरुवा

locationगुवाहाटीPublished: Dec 08, 2018 07:12:26 pm

Submitted by:

Prateek

असम के चाय बागानों में हमेशा बड़े साहबों का रुतबा रहा है, वही इन बागानों के मुखिया रहे हैं…

manju barua

manju barua

राजीव कुमार की रिपोर्ट…


(गुवाहाटी): असम के दो सौ साल के वाणिज्यिक चाय उत्पादन के इतिहास में पहली बार चाय उद्योग में एक महिला बागान मैनेजर नियुक्त की गई है। अब तक पुरुष का काम माने जाने वाले बागान मैनेजर के पद पर मंजू बरुवा नियुक्त हुई है। मंजू बरुवा को असम के डिब्रुगढ़ में एपीजे टी के हिलिका टी एस्टेट की मैनेजर नियुक्त किया गया है।


43 वर्ष की उम्र में मिली दारोमदारी

43 वर्षीय श्रीमती बरुवा ने वेलफेयर ऑफिसर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। सन् 2000 से श्रीमती बरुवा एपीजे टी के विभिन्न पदों पर रही है। वह शादीशुदा हैं। उनके पति टेलीकॉम सेक्टर में काम करते हैं। उनकी 11 वर्षीय एक बेटी है। वह शिवसागर जिले के नाजिरा से है। अगस्त में उन्होंने नया पद संभाला था। वह एमबीए है। वह सुबह छह बजे अपना काम शुरु करती है और दोपहर 3.30 बजे उनका काम खत्म होता है। असम के चाय बागानों में हमेशा बड़े साहबों का रुतबा रहा है, वही इन बागानों के मुखिया रहे हैं। लेकिन इन दिनों यहां एक बड़ी मैडम की तैनाती हुई है, जो इस वक्त चाय के इन बागानों की देखरेख कर रही हैं। साल 1830 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इन बागानों के इतिहास में पहली बार यहां किसी महिला की मैनेजर के तौर पर तैनाती हुई है।


बड़ी मैडम बन, बड़े साहब की जगह ली!

श्रीमती बरुवा ने बताया कि अक्‍सर लोग मुझे पहले मेमसाहब कहते थे। अब बड़ी मैडम कहकर बुलाते हैं, यह बड़े साहब की तरह ही है। चाय के बागानों में किसी बड़े अधिकारी को ऐसे ही बुलाते हैं। कई बार कुछ श्रमिक मुझे मैडम की जगह सर भी बोलते हैं, मुझे अच्छा लगता है यह।


अच्छा बदलाव

श्रीमती बरुवा काम के दौरान करीब 633 हेक्टेयर के चाय बागान में खुद मारुति चलाकर ड्यूटी करती हैं। यहां 2500 श्रमिक काम करते हैं। उन्होंने बताया कि एक चाय बागान में महिला मैनेजर का होना परंपरागत तरीकों में बदलाव जैसा तो है, लेकिन यह एक अच्छा बदलाव है।


महिला—पुरूष के लिए एक समान चुनौती

एक चाय के बागान में ज्यादातर काम बाहर का होता है और उसके लिए शारीरिक क्षमताओं का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यहां पुरुषों से ज्यादा महिला श्रमिक काम करती हैं। चाय उद्योग में श्रमिकों का बहुत महत्व है, इसलिए चाहे महिला हो या पुरुष दोनों के लिए चुनौती एक जैसी है। एपीजे टी के चेयरमैन करण पाल ने कहा कि श्रीमती बरुवा प्रतिबद्ध और अपने काम के प्रति ईमानदार हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो