राज्यसभा के बाहर और अंदर राजनीतिक दलों के विरोध के चलते भी इस बिल का राज्यसभा से पास होना आसान नहीं लग रहा था। पिछले एक महीने से भी अधिक समय से पूर्वोत्तर के जन संघठन, छात्र संघ, राजनीतिक दल इस बिल के विरोध में सक्रिय थे।
विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों से राज्यसभा में बिल के खिलाफ मत देने के लिए मनाने के उद्देश्य से मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा 11 फरवरी को दिन में नई दिल्ली पहुंचे। नई दिल्ली में मणिपुर और अरुणाचल के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर इस बिल को राज्यसभा से पास नहीं करने का आग्रह किया। नई दिल्ली में पूर्वोत्तर से 14 राजनीतिक दलों के एक प्रतिनिधि मंडल ने भाजपा के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी राम माधव से मुलाकात कर बिल को राजसभा में न रखा जाने के लिए ज्ञापन पत्र दिया।
मिजोरम में बिल के विरोध में काला दिवस
मिजोरम के जन संघठनों की समन्वय समिति ने नागरिकता बिल के खिलाफ 12 फरवरी को काला दिवस के तौर पर मनाया। इससे पहले 9 और 10 फरवरी को राज्य के गिरजाघरों में बिल पास न हो, इसके लिए प्रार्थनाओं का आयोजन किया गया। राज्य के सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। आइजोल में प्रधानमंत्री का पुतला भी जलाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री ललथनहवला अपनी पत्नी के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए। पूर्व मुख्यमंत्री को अपने हाथ में आजाद मिजोरम गणतंत्र का बैनर भी लिए देखा गया। मणिपुर पीपुल्स संघ ने राज्य में 12 फरवरी को भारत में पूर्वोत्तर राज्यों के कयामत दिवस के तौर मनाया गया। इंफाल में 12 तारीख को दिनभर के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। नगालैंड में छात्र संघ और जनसंघठनों ने 11 फरवरी को नागरिकता बिल के खिलाफ सम्पूर्ण बंद बुलाया।