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Election Special: नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध झेल चुकी भाजपा के लिए पूर्वोत्तर बना नया घर, ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने की कोशिश

locationगुवाहाटीPublished: Mar 18, 2019 09:06:56 pm

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Prateek

पूर्वोत्तर जो कि कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है लगातार टूटता दिखाई दे रहा है…
 
 

(गुवाहाटी,राजीव कुमार): पूर्वोत्तर में आठ राज्य हैं। ये हैं-असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और सिक्किम। इनमें कुल लोकसभा सीटों की संख्या 25 है। सबसे ज्यादा सीटें असम में 14 हैं। बाकी राज्यों में दो-एक सीटें हैं। भाजपा का पूरा फोकस पूर्वोत्तर पर है। उसके लिए यह जीत का नया मैदान है। उसे लगता है कि देश के अन्य जगह जहां नुकसान होगा, वह पूर्वोत्तर की सीटों से भरपाई कर लेगी। असम की चौदह सीटों पर देखें तो लगातार कांग्रेस और अगप की सीटें टूटी हैं। भाजपा और एआईयूडीएफ को फायदा हुआ है।

 

63 दिन की दूरी के बाद फिर मिले भाजपा-अगप

विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद असम सरकार में भाजपा की सहयोगी रही अगप ने उससे जनवरी में नाता तोड़ा और विधेयक का विपक्ष द्वारा विरोध किए जाने के बाद इसे राज्यसभा में पेश ही नहीं किया गया। 63 दिन बाद उसका और भाजपा का फिर से गठबंधन हो गया। भाजपा ने 14 में से तीन सीटें अगप के लिए छोड़ी हैं। ये हैं धुबड़ी, बरपेटा और कलियाबर। वहीं भाजपा ने अपने सहयोगी बोड़ो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के लिए पहले की तरह कोकराझाड़ सीट छोड़ी है। बीपीएफ ने इस सीट से राज्य में मंत्री प्रमिला रानी ब्रह्म को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने पांच सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान किया है। करीमगंज सीट से स्वरूप दास, सिलचर से सुष्मिता देव, कलियाबर से गौरव गोगोई, जोरहाट से सुशांत बरगोहाईं और डिब्रुगढ़ से पवन सिंह घटवार को टिकट दिया गया है। इनमें लोकसभा चुनाव के लिए दो नए चेहरे हैं। करीमगंज से स्वरूप दास और जोरहाट से सुशांत बरगोहाईं।

 

भाजपा के उभार से बदले समीकरण

वहीं मेघालय की शिलांग सीट पर विंसेंट एच पाला और तुरा सीट से डॉ. मुकुल संगमा को टिकट दिया गया है। उधर नगालैंड से कांग्रेस ने केएल चिशी को मैदान में उतारा है। राज्यसभा में वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा को सात, कांग्रेस को तीन, एआईयूडीएफ को तीन और निर्दलीय को एक सीट मिली थी जबकि 2009 के चुनाव में कांग्रेस के पास सात, भाजपा के पास चार, निर्दलीय और एआईयूडीएफ के पास एक-एक सीट थी। वर्ष 2004 में कांग्रेस के पास नौ, अगप और भाजपा के पास दो-दो और निर्दलीय के पास एक सीट थी। मजे की बात है कि भाजपा के आने के बाद हिंदू-मुस्लिम वोट भाजपा और एआईयूडीएफ में बंटने लगे हैं। इसका खामियाजा कांग्रेस और अगप को उठाना पड़ रहा है।

 

नागरिकता संशोधन विधेयक से भाजपा भी परेशानी में

इस बार नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर राज्य में भाजपा के खिलाफ काफी आंदोलन हुआ है। पर पंचायत और स्वशासी परिषद के चुनावों में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इस बार के राज्य के बजट में चाय श्रमिकों के लिए तोहफों की बारिश की गई है। चाय श्रमिक कांग्रेस के वोट बैंक माने जाते रहे हैं। लेकिन अब वे भाजपा के पाले में जाते दिख रहे हैं। इसलिए मुख्य मुकाबला ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस व भाजपा-अगप गठबंधन में होगा। राज्य में वैसे कांग्रेस, भाजपा, अगप, एआईयूडीएफ और बीपीएफ प्रमुख पार्टियां हैं।

 

हिमंत ही हैं भाजपा के मुख्य रणनीतिकार

राज्य के प्रमुख चेहरों में भाजपा के नेता तथा केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजेन गोहाईं हैं, वहीं कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में गौरव गोगोई और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सुष्मिता देव शामिल हैं। कहा जा रहा था कि हिमंत को भाजपा तेजपुर संसदीय सीट से उमीदवार बना सकती है। फिलहाल वे राज्य के वित्त, स्वास्थ्य, लोकनिर्माण मंत्री हैं। साथ ही पूर्वोत्तर में भाजपा के बनाए गए नार्थ ईस्ट डेमोक्रिटक एलांयस(नेडा) के समन्वयक हैं। इसमें कई क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हिमंत को चुनाव लड़ने के बजाए पूर्वोत्तर में पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने को कहा है। तेजपुर सीट से हिमंत का नाम आगे करने के चलते तेजपुर के भाजपा सांसद राम प्रसाद शर्मा ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है। वहीं केंद्रीय रेल राज्यमंत्री राजेन गोहाईं ने अपने पर चल रहे यौन शोषण मामले के चलते अंतिम समय में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।

 

सत्ता में होना भाजपा-अगप के लिए फायदेमंद

जोरहाट के भाजपा सांसद कामाख्या प्रसाद तासा ने अपनी लोकप्रियता में आई कमी के चलते चुनाव न लड़ने की बात कही है। ऐसे में भाजपा के उम्मीदवार के नामों में काफी नयापन आने की संभावना है। वहीं गौरव गोगोई कलियाबर से सांसद हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र हैं। वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं। वहीं सुष्मिता देव सिलचर की सांसद हैं। गौरव व सुष्मिता दोनों ही कांग्रेस के युवा सक्रिय चेहरे हैं। राज्य की सत्ता में भाजपा, अगप और बीपीएफ है। भाजपा, अगप व बीपीएफ का प्रदर्शन अच्छा होने के आसार दिख रहे हैं। सत्ता में रहने के कारण इन्हें फायदा होगा। भाजपानीत राज्य की सरकार ने अपनी योजनाओं से लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई है। ये इनके वोटरों मे तब्दील हो सकते हैं। असम से राज्यसभा सांसद रहे डा.मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे। वह एक संयोग था। सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री न बनने से असम के राज्यसभा सांसद डा.मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया। पर फिलहाल पूर्वोत्तर में कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनते नहीं दिख रहा है।

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