यह जिले हुए हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
प्रभावित जिलों में धेमाजी, लखीमपुर, विश्वनाथ, शोणितपुर, दरंग, उदालगुड़ी, बाक्सा, बरपेटा, नलबाड़ी, चिरांग, बंगाईगांव, कोकराझाड़, धुबड़ी, दक्षिण सालमारा, ग्वालपाड़ा, कामरूप, कामरूप (मेट्रो), मोरिगांव, नगांव, होजाई, गोलाघाट, माजुली, जोरहाट, शिवसागर, डिब्रुगढ़, तिनसुकिया, कछार, कार्बी आंग्लांग और करीमगंज शामिल हैं।
प्रभावित लोगों के लिए 427 राहत शिविर लगाए हैं। इनमें 1 लाख 51 हजार 947 लोग रह रहे हैं। वहीं राहत वितरण केंद्र 392 है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार ब्रह्मुपत्र जोरहाट के निमातीघाट, तेजपुर, गुवाहाटी, ग्वालपाड़ा और धुबड़ी, धनसिरी नुमलीगढ़ में, जियाभराली शोणितपुर में, कपिली नगांव में, पुठीमारी कामरूप में, बेकी बरपेटा में, काटखाल हैलाकांदी में और कुसीआरा करीमगंज में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
39 जानवारों की मौत
बाढ़ से अब तक 1,73,312 हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ का पानी कम होना शुरू हुआ है। 13 जुलाई से अब तक 39 वन्य जंतु मारे गए हैं। 169 शिविर डूबे हुए हैं, जबकि 22 शिविरों को आज स्थानांतरित किया गया है।
सीएम ने किया दौरा
मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ( Assam CM ) ने आज बराकघाटी का दौरा कर वहां की बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री करीमगंज गए और जिला प्रशासन से लोगलाई नदी के जियो बैक प्रोटेक्शन परियोजना की रिपोर्ट तैयार करने को कहा। मालूम हो कि बराकघाटी में पिछले कुछ दिनों से कुसीआरा, लोंगलाई, सिंगला और बराकनदी तबाही मचाये हुए था। करीमगंज जिले के पथारकांदी, नीलमबाजार और करीमगंज सदर के मुख्य स्थान डूबे हुए हैं।
मुख्यमंत्री करीमगंज के सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल और नगेंद्रनाथ त्रिलोकचंद एमवी स्कूल गए और वहां रह रहे प्रभावित लोगों से बातचीत की। बाद में मुख्यमंत्री सिलचर के मालिनी बिल राहत शिविर पहुंचे और वहां भी रहरहे प्रभावित लोगों से बातचीत की।