पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सदन के सदस्यों ने सरकार से इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और इसके पीड़ितों की मदद करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। ब्रह्म ने विभिन्न सदस्यों के सुझावों पर कहा कि सरकार इस कुरीति के पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने के विकल्प पर विचार कर रही है। विधायकों से अनुरोध किया कि वे सामाजिक बुराई से लड़ने वाले एनजीओ का समर्थन करें। कांग्रेस विधायक भूमिज ने कहा कि डायन बताकर सिर्फ परिवार के किसी सदस्य की सिर्फ हत्या ही नहीं की जाती बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को वहां से खदेड़कर संपत्ति पर कब्जा कर लिया जाता है। इस पर मंत्री ने कहा कि सजा का मामला गृह विभाग के अधीन आता है। असम महिला आयोग सिर्फ सजगता फैलाता है।
विधायक भूमिज ने मांग की कि किसी एक विभाग को पूरी जिम्मेवारी दी जाए। नहीं तो एक दूसरे पर मामला रह जाएगा। भाजपा के विधायक प्रशांत फुकन ने कहा कि जिन्हें डायन बताकर मारा जाता है वे गरीबी रेखा के नीचे के परिवार होते हैं। उनकी आर्थिक मदद जरुरी है। इस पर मंत्री ने कहा कि मामला बेहद संवेदनशील है। सिर्फ एक नहीं पूरे परिवार की हत्या कर दी जाती है।
एआईयूडीएफ के विधायक ने कहा कि कठोरता से कानून लागू किए जाने की जरुरत है। बीपीएफ विधायक कनेश्वर बसुमतारी ने कहा कि इस विषय को लेकर अच्छा कार्य करने वाले एनजीओ को वित्तीय मदद देनी चाहिए। पूरे मामले पर विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्रनाथ गोस्वामी ने कहा कि मंत्री को मुख्यमंत्री से बात कर पीड़ितों के वित्तीय मदद की व्यवस्था करनी चाहिए।