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असम में डायन बताकर इतने लोगों को उतार दिया गया मौत के घाट, चौंका देंगे यह आंकडें

locationगुवाहाटीPublished: Feb 01, 2019 08:04:01 pm

Submitted by:

Prateek

पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सदन के सदस्यों ने सरकार से इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और इसके पीड़ितों की मदद करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया…

राजीव कुमार की रिपोर्ट…

(गुवाहाटी): असम की समाज कल्याण मंत्री प्रमिला रानी ब्रह्म ने शुक्रवार को असम विधानसभा में जानकारी दी कि राज्य में बीते 18 साल में डायन बताकर 161 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। ब्रह्म ने कहा कि 2001 से राज्य में जादू टोने के 133 मामले दर्ज किए गए हैं। कांग्रेस के विधायक दुर्गा भौमिज के प्रश्नोत्तरकाल में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि डायन की समस्या राज्य के 33 में से 17 जिलों में व्याप्त है। इस सूची में कोकराझार अव्वल है जहां 45 लोगों की इस कुरीति की वजह से जान गई है। इसके बाद चिरांग में 24 और ग्वालपाड़ा में 17 लोगों की मौत हुई है।


पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सदन के सदस्यों ने सरकार से इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और इसके पीड़ितों की मदद करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। ब्रह्म ने विभिन्न सदस्यों के सुझावों पर कहा कि सरकार इस कुरीति के पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने के विकल्प पर विचार कर रही है। विधायकों से अनुरोध किया कि वे सामाजिक बुराई से लड़ने वाले एनजीओ का समर्थन करें। कांग्रेस विधायक भूमिज ने कहा कि डायन बताकर सिर्फ परिवार के किसी सदस्य की सिर्फ हत्या ही नहीं की जाती बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को वहां से खदेड़कर संपत्ति पर कब्जा कर लिया जाता है। इस पर मंत्री ने कहा कि सजा का मामला गृह विभाग के अधीन आता है। असम महिला आयोग सिर्फ सजगता फैलाता है।


विधायक भूमिज ने मांग की कि किसी एक विभाग को पूरी जिम्मेवारी दी जाए। नहीं तो एक दूसरे पर मामला रह जाएगा। भाजपा के विधायक प्रशांत फुकन ने कहा कि जिन्हें डायन बताकर मारा जाता है वे गरीबी रेखा के नीचे के परिवार होते हैं। उनकी आर्थिक मदद जरुरी है। इस पर मंत्री ने कहा कि मामला बेहद संवेदनशील है। सिर्फ एक नहीं पूरे परिवार की हत्या कर दी जाती है।


एआईयूडीएफ के विधायक ने कहा कि कठोरता से कानून लागू किए जाने की जरुरत है। बीपीएफ विधायक कनेश्वर बसुमतारी ने कहा कि इस विषय को लेकर अच्छा कार्य करने वाले एनजीओ को वित्तीय मदद देनी चाहिए। पूरे मामले पर विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्रनाथ गोस्वामी ने कहा कि मंत्री को मुख्यमंत्री से बात कर पीड़ितों के वित्तीय मदद की व्यवस्था करनी चाहिए।

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