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वाड्रा और हुड्डा के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में जांच के लिए हरियाणा पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी

locationगुडगाँवPublished: Sep 05, 2018 03:26:02 pm

Submitted by:

Prateek

गुरूग्राम पुलिस ने वर्ष 2008 के करीब 5000 करोड रूपए के इस भूमि घोटाले के सिलसिले में राबर्ट वाड्रा,भूपेन्द्र सिंह हुड्डा,रीयल एस्टेट कम्पनी डीएलएफ और गुरूग्राम की फर्म ओकारेश्वर प्रोपर्टीज के खिलाफ पिछले शनिवार को मुकदमा दर्ज किया था…

(चंडीगढ): गुरूग्राम के सेक्टर 83 की जमीन खरीदने और तुरत-फुरत में काॅमर्सियल काॅलोनी के लिए लाइसैंस देते हुए जमीन डीएलएफ को बेचने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा राबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दर्ज मुकदमे में आगे जांच के लिए हरियाणा पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी है।

 

गुरूग्राम पुलिस ने वर्ष 2008 के करीब 5000 करोड रूपए के इस भूमि घोटाले के सिलसिले में राबर्ट वाड्रा,भूपेन्द्र सिंह हुड्डा,रीयल एस्टेट कम्पनी डीएलएफ और गुरूग्राम की फर्म ओकारेश्वर प्रोपर्टीज के खिलाफ पिछले शनिवार को मुकदमा दर्ज किया था। तौरू के नजदीक राठीवास गांव निवासी सुरेन्द्र शर्मा की शिकायत पर यह मुकदमा दर्ज किया गया था। शर्मा ने शिकायत में कहा था कि राबर्ट वाड्रा की कम्पनी स्काईलाईट हाॅस्पिटेलिटी ने लोगों और राज्य के साथ ठगी की है। शिकायत में कहा गया कि वाड्रा की कम्पनी ने 2008 में शिकोहपुर की साढे तीन एकड जमीन साढे सात करोड में खरीदी और इस जमीन पर काॅमर्सियल कालोनी विकसित करने के लिए लाइसैंस लेकर यही जमीन 58 करोड में डीएलएफ को बेच दी। इसके बाद हरियाणा सरकार ने नियमों की अवहेलना कर 350 एकड जमीन डीएलएफ को आवंटित कर दी।


सहायक पुलिस आयुक्त शमशेर सिंह के अनुसार इस मामले में आगे जांच के लिए पुलिस महानिदेशक बीएस संधू को राज्य सरकार की मंजूरी दिलाने का अनुरोध किया गया है। संसद ने इस साल जुलाई में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 में संशोधन पारित कर दिया था जिसके अनुसार भ्रष्टाचार के मामलों में जांच के लिए पुलिस को राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। लेकिन जब अभियुक्त को रंगे हाथ गिरफ्तार किया जाता है तब यह प्रावधान लागू नहीं किया जाता। हरियाणा में सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने 14 मई 2015 को एक सदस्यीय एसएन धीगरा कमीशन का गठन किया था। कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है लेकिन इसके सार्वजनिक करने पर हाईकोर्ट की रोक है।

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