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राजनीति से आउट हुए डूमरखां, अधूरी रह गई सीएम बनने की इच्छा

locationगुडगाँवPublished: Nov 18, 2019 05:36:20 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

हरियाणा की राजनीति में बीरेंद्र सिंह की छवि मुंहफट, अक्खड़ व साफगोई से बात करने वाले नेता की रही है। बेटे का भविष्य बनाने के लिए उन्होंने मंत्री पद दांव पर लगा दिया था। वे कांग्रेस व भाजपा में रहकर हुड्डा व खट्टर पर सवाल उठाते रहे है।

राजनीति से आउट हुए डूमरखां, अधूरी रह गई सीएम बनने की इच्छा

राजनीति से आउट हुए डूमरखां, अधूरी रह गई सीएम बनने की इच्छा

चंडीगढ़. हरियाणा की राजनीति में चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखां ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री बनने की इच्छा अपने मन में लिए सक्रिय राजनीति से आउट हो गए हैं। अब वह अपने बेटे के माध्यम से अपनी राजनीति को आगे बढ़ाएंगे। हरियाणा की राजनीति में बीरेंद्र सिंह की छवि मुंहफट, अक्खड़ व साफगोई से बात करने वाले नेता की रही है।
चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में रहे हों या भाजपा में, लेकिन उनकी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा कभी खत्म नहीं हुई है। कांग्रेस में रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपना जूनियर बताकर उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाना डूमरखां के दिनचर्या का हिस्सा रहा है। किसान नेता दीनबंधु सर छोटूराम के नाति के रूप में राजनीति में सक्रिय रहे चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कई बार छोटूराम के माध्यम से एक वर्ग का सर्वमान्य नेता बनने का प्रयास किया, हालांकि हर बार पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा व कई अन्य नेता इनकी राह में रोड़ा बनते रहे।

बेटे के लिए खुद मंत्री पद से दिया था इस्तीफा

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चौधरी बीरेंद्र सिंह ने इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को राजनीति में स्थापित करने के लिए खुद मंत्री पद से इस्तीफा देकर राज्यसभा सांसद के रूप में इस्तीफे की पेशकश की थी। इस बीच भाजपा ने बीरेंद्र के बेटे को हिसार से पार्टी प्रत्याशी बनाया और वह लोकसभा में पहुंच गए। इस दौरान बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा ठंडे बस्ते में चला गया और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान राव इंद्रजीत समेत भाजपा के कई नेताओं ने बीरेंद्र सिंह के राज्यसभा तथा उनके बेटे के लोकसभा में होने का हवाला देकर पत्नी प्रेमलता को उचाना से टिकट दिए जाने का विरोध किया।
इसके बावजूद पार्टी ने प्रेमलता को प्रत्याशी तो बनाया लेकिन वह दुष्यंत चौटाला के मुकाबले चुनाव हार गई। अब बांगर की धरती तथा उचाना में अपनी खिस्क रही जमीन को बचाने के लिए बीरेंद्र सिंह ने सक्रिय अथवा सत्ता की राजनीति से खुद को अलग करते हुए संगठन की मजबूती के बहाने अपना घर बचाने की कवायद शुरू कर दी है।

ऐलान होने के बाद मंत्री बनने से रह गए

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बीरेंद्र सिंह डूमरखां अपने राजनीतिक करियर के दौरान लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए एक समय ऐसा भी आया था जब केंद्र की पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्हें केंद्र में मंत्री बनाए जाने का ऐलान हो गया था। बीरेंद्र सिंह को मंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के लिए बकायदा राष्ट्रपति भवन से संदेश भी आ गया था, लेकिन कुछ घंटे पहले बीरेंद्र सिंह का नाम सूची से बाहर हो गया। इसके बाद उन्होंने खुलेआम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर मंत्री की राह में रोड़ा अटकाने के आरोप लगाए थे।

अब बेटे को मिल सकता है मोदी मंत्रिमंडल में स्थान

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चौधरी बीरेंद्र सिंह द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले जब केंद्र में मंत्री पद छोड़ा गया तो राजनीति के गलियारों में इस बात की चर्चा थी कि बीरेंद्र सिंह के स्थान पर उनके सांसद बेटे को केंद्र में जगह मिल सकती है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खुद हिसार में रैली के दौरान इस बात का ऐलान किया था कि बृजेंद्र को लोकसभा में भेज दिजिए बीरेंद्र सिंह के स्थान पर उन्हें बिठाने की जिम्मेदारी पार्टी की है। इसके बावजूद मोदी मंत्रिमंडल में बृजेंद्र को स्थान नहीं मिला। अब बीरेंद्र सिंह द्वारा सक्रिय राजनीति को अलविदा किए जाने के बाद वह अपने बेटे को मोदी सरकार का हिस्सा बनाने के लिए प्रयास करेंगे।

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