जबरन लेना पड़ रहा है सामान
हद तो यह है कि सिक्कों से बचने के लिए दुकानदार ग्राहक को लौटा तक रहे हैं। या फिर ग्राहकों द्वारा सिक्के लेने से मना करने पर उनसे उतनी राशि का अन्य सामान लेने का दवाब बनाया जा रहा है। जिसके कारण ग्राहक को बिना जरूरत सामान खरीदना पड़ रहा है। जिससे उसका बजट बिगड़ रहा है।
आईपीसी में है सजा का प्रावधान
भारतीय मुद्रा को लेने से मना करने पर सजा का भी प्रावधान है और ग्राहक सिक्के न लेने पर दुकानदार के विरुद्ध शिकायत भी दर्ज करवा सकता है। सही सिक्कों को लेने से मना करना भारतीय दंड संहिता की धारा 489 के तहत अपराध है। इस पर न्यायालय द्वारा जुर्माना या कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।
भारतीय मुद्रा से दोयम दर्जे का व्यवहार
भारतीय मुद्रा के भाग इन सिक्कों के साथ मानो दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। सिक्कों को देखते ही लोग ऐसे इंकार कर रहे हैं, जैसे वे सिक्के अछूत हो गए हों। यह हाल 1-2 और 5 रुपए के छोटे सिक्कों के साथ ही 10 के सिक्कों का भी है। दुकानदारों के अलावा ग्राहक भी नहीं लेते हैं। दूसरे तरफ सरकार बड़े सिक्के निकालने की तैयारी कर रही है। 100 रुपए का सिक्का तो लांच भी कर दिया गया है। हालांकि अभी ये मार्केट में नहीं आया।
ये भी है कारण
दुकानदारों ने बताया कि उनके पास इस समय सिक्के अधिक आ रहे हैं। लेकिन माल मंगाने के लिए उन्हें बड़े नोट देने पड़ते हैं। जिससे माल खरीदते हैं, वह सिक्के नहीं लेता। बैंकों में भी सिक्के न लिए जाने के कारण उनके पास सिक्कों का ढेर लग गया है। इसलिए सिक्के लेने में उन्हें परेशानी आ रही है। इसके अलावा नोटबंदी के बाद नोटों की कमी को सिक्कों से पूरा किया गया, इसके वजह से भी बाजार में चिल्लर अधिक आ गई। अब ग्राक भी नहीं ले रहे हैं।
सिक्कों के चलन में कहां दिक्कत आ रही है, लीड बैंक अधिकारी से चर्चा करेंगे और यह मामला कलेक्टर साहब के भी संज्ञान में लाया जाएगा।
-अखिलेश जैन, एसडीएम गुना