उधर, ज्वाइंट बदलने एबी रोड का रास्ता रोकना कठिन है। रेलवे से भी परमीशन लेना आसान नहीं है। इससे काम पिछडऩे का खतरा है। ब्रिज पर रहता है जान माल को खतरा
ब्रिज की स्थिति काफी नाजुक है, यहां से वाहनों को निकालने में जान और माल को खतरा रहता है। दरअसल, ब्रिज के बीच में डिवाइडर बने हैं, रात में यहां रोशनी नहीं रहती, इस वजह से वाहनों को निकालने में खतरा बना रहता है। काम के दौरान यहां सुरक्षा के उपाए नहीं किए गए। यहां असावधानी भारी पड़ सकती है।
पीडब्ल्यूडी के ब्रिज कॉपरेशन द्वारा कराए जा रहे इस काम में अगर इसी तरह लेटलतीफी रही तो तीन महीने और काम पिछड़ सकता है। विभाग के इंजीनियरों के अनुसार विभाग के पास ठेकेदार को देने पैसा नहीं है। लेकिन ठेकेदार बिना पैसा लिए काम शुरू नहीं कर रहा है। इसी तरह विवाद की स्थिति रही तो काम पिछड़ सकता है।
ब्रिज की मरम्मत के लिए 1.40 करोड़ की राशि मंजूर हुई है, मगर ब्रिज की मरम्मत करने में लागत कम आने से इस प्रोजेक्ट से शासन के 40 लाख रुपए बचते। लेकिन काम में देरी होने से ब्रिज को दुरस्त करने में लागत बढ़़ सकती है। ठेकेदार ने फिलहाल लेबर हटा दी है, यहां केवल सीमेंट के काम पर तराई की जा रही है।
5000 से अधिक वाहन 24 घंटे में इस पुल के ऊपर से गुजरते हैं। रात के समय हैवी व्हीकल भी यहां से गुजर रहे हैं।
30 से अधिक कालोनियों को ये ब्रिज मुख्य शहर को जोड़ता है। ब्रिज के दूसरी ओर कुशमौदा, औद्योगिक क्षेत्र सहित 30 से अधिक कालोनियां है।
750 मीटर लंबे इस पुल में काफी दरार आ गई हैं और कई जगह सरिया निकल आए हैं।
ठेकेदार ने करीब 25-30 लाख रुपए का काम कर दिया है, लेकिन उसके बिलों का भुगतान नहीं हो पाया। हमने इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को लिख दिए हैं, लेकिन बजट का अभाव होने से भुगतान अटका है। ठेेकेदार कह रहा है, भुगतान होते ही का चाल कर दूंगा। अब 75 प्रतिशत से अधिक काम बांकी है।
-दीपक नामदेव, इंजीनियर, ब्रिज कार्पोरेशन, पीडब्ल्यूडी गुना