जबकि बच्चों की तिमाही परीक्षा भी संपन्न हो चुकी है। बच्चों का कहना है कि कोचिंग शुरू हो जाने से वे अच्छे से पढ़ाई कर पाते हैं, जो स्कूल में समझ नहीं आता, उसे कोचिंग में समझ लेते हैं, लेकिन इस बार अब तक कोचिंग शुरू न होने से तिमाही परीक्षा भी कमजोर रही है और कोचिंग कब शुरू होगी, इसको लेकर भी अभी तक कोई जानकारी छात्रावासों के पास नहीं है। जिले में कुल १२ उत्कृष्ट छात्रावास हैं। जिला स्तरीय बालक व कन्या उत्कृष्ट छात्रावास हैं और फिर पांचों विकासखंडों में एक-एक बालक व कन्या उत्कृष्ट छात्रावास हैं।
इनमें से किसी भी छात्रावास में अब तक कोचिंग शुरू नहीं है। छात्रावासों में ९ से १२वीं तक के विद्यार्थी रहकर अध्ययन करते हैं। इनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे शामिल हैं।
कलेक्ट्रेट में हैं फाइल
उत्कृष्ट छात्रावासों में कोचिंग के लिए अस्थाई टीचर रखे जाते हैं। सूत्रों के अनुसार कोचिंग के लिए आवेदन जून माह में ही मंगवा लिए गए थे। जुलाई से शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी। ताकि बच्चों को शुरू से ही अच्छी शिक्षा मिल सके।
स्टेशनरी की राशि भी नहीं आई
बच्चों ने बताया कि हर साल उन्हें स्टेशनरी के लिए भी २ हजार रुपए की राशि दी जाती है। ये भी साल के शुरू में ही आ जाती है, लेकिन इस बार राशि नहीं आई है। जिसके कारण वे स्टेशनरी भी नहीं ले पा रहे हैं। घर से इतने सक्षम नहीं हैं कि बाजार से खुद के खर्च पर स्टेशनरी खरीद सकें या कोचिंग लगवा सकें।
स्कूल में कुछ समझ नहीं आता
पत्रिका टीम ने जब छात्रावास में पढऩे वाले बच्चियों से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले साल कोचिंग शुरू से ही चालू हो गई थी, लेकिन इस बार तिमाही परीक्षा के बाद भी कोचिंग शुरू नहीं हुई। स्कूल में कुछ समझ नहीं आता है, जिसके कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए कोचिंग की आवश्यकता पड़ती है।
नए जो डिप्टी कलेक्टर व असिस्टेंट कलेक्टर आए हैं, उनके माध्यम से प्लानिंग करवाकर कोचिंग करवाएंगे। वो लोग अपनी कार्ययोजना बनाकर देंगे तो उसके हिसाब से छात्रावासों में कोचिंग शुरू करवाई जाएगी।
विजय दत्ता, कलेक्टर गुना।
नए जो डिप्टी कलेक्टर व असिस्टेंट कलेक्टर आए हैं, उनके माध्यम से प्लानिंग करवाकर कोचिंग करवाएंगे। वो लोग अपनी कार्ययोजना बनाकर देंगे तो उसके हिसाब से छात्रावासों में कोचिंग शुरू करवाई जाएगी।
विजय दत्ता, कलेक्टर गुना।