चौराहे से निकलने वाले वाहन चालक न तो लाल बत्ती देखते हैं और न ही हरी। उन्हें तो अपने हिसाब से निकलना है। जैसे ही जगह देखी तो गाड़ी आगे बढ़ा दी। कुछ लोग लाल बत्ती देखकर रुकते भी है तो उन्हें बत्ती हरी होने तक इंतजार करना गवारा नहीं होता, कुछ देर रुककर वे भी आगे बढ़ जाते हैं। जिससे कई बार वाहनों के आमने-सामने की टक्कर होते-होते बचती है। चौराहें पर ही लोगों के बीच बहस होती भी देखी जा सकती है। चौराहे पर मुड़ते समय भी वाहन चालक नियमों का ध्यान नहीं रख रहे हैं। बीच से ही वाहन को मोड़ देते हैं। इससे हादसे की आशंका रहती है।
जा सकती है जान
इस तरह नियमों की अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है। वाहनों के टकराने से गंभीर चोट लगने पर जान भी जा सकती है। हाल ही सीएम के कार्यक्रम के दौरान भी ग्रामीणों को ला रही बसों ने चौराहे पर पहले दो छात्राओं और फिर दो युवकों को टक्कर मार दी थी। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
एक बार शुरू हुई तो नहीं रुकती कतार
चौराहे पर यातायात का दवाब अधिक है। ऐसे में लाल बत्ती होने पर वाहनों की कतार लग जाती है। लाल बत्ती एक मिनिट तक रहती है और फिर निकलने के लिए हरी बत्ती ३० सेकंड। कई बार पूरे वाहन निकलने से पहले ही हरी बत्ती दोबारा लाल हो जाती है। लेकिन पीछे आ रहे वाहन रुकने की जगह आगे बढ़ते रहते हैं। उधर दूसरी तरफ हरी बत्ती होने पर वहां से वाहन आगे बढऩे लगते हैं। जिससे स्थिति बिगड़ जाती है।
ट्रैफिक कर्मी से होती है बहस
चौराहे पर तैनात ट्रेफिक पुलिस के जवानों की भी परवाह वाहन चालक नहीं करते। जवान उन्हें रुकने का इशारा करते रहते हैं और वाहन चालक निकल जाते हैं। कई बाहर ट्रेफिक जवान से वाहन चालक बहस करते हुए भी देखे जा सकते हैं। चौराहे पर यातायात को सुचारू करने अब तक यातायत पुलिस ने कोई खास प्रयास भी नहीं किया है।