scriptचस्पा की सूचना- नहीं हैं रेडियोलॉजिस्ट | Information of Chaspa - Not Radiologists | Patrika News

चस्पा की सूचना- नहीं हैं रेडियोलॉजिस्ट

locationगुनाPublished: Jul 15, 2019 08:16:04 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

जिला अस्पताल में 15 दिन बाद भी रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था नहीं हो सकी है। जिसके चलते सोनोग्राफी पूर्णत: बंद हो चुकी है। जबकि जिले भर के एक सैकड़ा से अधिक एमएलसी केसों की रिपोर्ट भी तैयार नहीं हो पा रही है जिससे पुलिस की एक सैकड़ा से अधिक मामलों की विवेचना संबंधी कार्रवाई भी अधर में लटकी हुई है। कुल मिलाकर एक रेडियोलॉजिस्ट के न होने से इन दिनों जिले भर की पुलिस परेशान है। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हम व्यवस्था करने में लगे हुए हैं। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है।

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जिला अस्पताल में 15 दिन बाद भी रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था नहीं हो सकी है। जिसके चलते सोनोग्राफी पूर्णत: बंद हो चुकी है।

गुना. अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के पद पर पदस्थ एक मात्र चिकित्सक डॉ सीताराम रघुवंशी 30 जून को रिटायर हो गए हैं। उनके जाते ही अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से गड़बड़ा गई हैं। क्योंकि बिना जांचों के मरीज का समुचित इलाज संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में अन्य रेडियोलॉजिस्ट के न होने से तीनों यूनिट एक्सरे, सोनोग्राफी तथा सीटी स्केन का पूरा भार डॉ सीताराम रघुवंशी पर ही था। यही नहीं उन्हें सप्ताह में कम से कम तीन दिन एमएलसी केसों के सिलसिले में न्यायालय में भी जाना पड़ता था। यही कारण है कि उनके जाते ही सारी व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई हैं। वर्तमान में यह हालात बन चुके हैं कि अस्पताल प्रबंधन ने रेडियोलॉजी विभाग के मुख्य द्वार पर सूचना चस्पा कर दी है किे सोनोग्राफी के डॉक्टर साहब की सेवानिवृत्ति हो जाने के कारण सोनोग्राफी कार्य बंद है।

गर्भवती महिलाएं और पथरी के मरीज परेशान हुए


जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब आधा सैकड़ा मरीजों को सोनोग्राफी जांच लिखी जाती हैं। जिनमें अधिकांश गर्भवती महिलाएं होती हैं जबकि आधा दर्जन मरीज पथरी से पीडि़त होते हैं। इन मरीजों की सोनोग्राफी उसी दिन होना जरूरी होती है ताकि बीमारी का पता चल सके और मरीज को उचित उपचार मिल सके।

इसलिए जरूरी है रेडियोलॉजिस्ट


रेडियोलॉजी एक मेडिकल टेक्नोलॉजी है। इसकी मदद से शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच की जाती है। इससे डॉक्टर को मरीजों की स्थिति और उनकी बीमारियों के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है। जिससे मरीज का कारगर इलाज करने में काफी आसानी होती है। रेडियोलॉजी दो तरह की होती है।डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी और थैरापेटिक रेडियोलॉजी। डायग्नॉस्टिक रेडियोलॉजी के अंतर्गत मुख्य रूप से रेडियोग्राफी और अल्ट्रासाउंड से जुड़े टेस्ट शामिल होते हैं।

कलेक्टर को भेजी है नोटशीट

रेडियोलॉजिस्ट के न होने से मरीजों को परेशानी तो हो रही है। इसके लिए हमने डॉ रघुवंशी से बात की है। वह वापस आने के लिए राजी भी हो गए हैं। इसके लिए हमने नोटशीट कलेक्टर को भेजी है। वहां से प्रक्रिया पूरी होते ही हमें इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा हमने शासन को भी रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था के लिए लिखा है।
डॉ एसके श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल गुना

रेडियोलॉजिस्ट के रिटायर होने के बाद जिले भर के कितने एमएलसी केस प्रभावित हुए हैं इसका सटीक डेटा तो मैं अभी नहीं दे सकता। हां यह जरूर है कि एमएलसी रिपोर्ट पर रेडियोलॉजिस्ट के साइन तो जरूरी होते हैं। रिपोर्ट न मिलने से केस की विवेचना आगे नहीं बढ़ पाती है।
टीएस बघेल, एएसपी गुना
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