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सरकार बदली, नहीं बदली व्यवस्था

locationगुनाPublished: Jan 15, 2019 07:30:33 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

जनसुनवाई की यह दयनीय स्थिति तहसील मुख्यालय पर होती तो चल भी जाती लेकिन जहां जिले का मुखिया बैठता हो वहां यदि अधिकारियों का ऐसा रवैया हो तो निश्चित रूप से इसे सुशासन नहीं कहा जा सकता है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर मौजूद नहीं थे।

patrika

मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर मौजूद नहीं थे।

गुना. विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश में सरकार बदल चुकी है और जिले के मुखिया भी बदल गए लेकिन नहीं बदली तो व्यवस्था। यही कारण है कि जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचल का व्यक्ति करीब 60 किमी दूर से स्थानीय स्तर की समस्या लेकर बस व बाइक से जिला मुख्यालय आता है और वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगती है। गौर करने वाली बात है कि इतनी दूर से कोई ग्रामीण अपनी समस्या लेकर आता है और उसे जनसुनवाई में पूरी तरह सुना ही नहीं जाता इसके पहले ही उसे अन्य विभाग में आवेदन देने के लिए चलता कर दिया जाता है। मुख्यालय पर बैठे आला अधिकारियों का यह रवैया देख ग्रामीण अपने आपको ठगासा महसूस करने लगता है और वह बाद में सोचता है कि पैसे खर्च कर वह यहां तक आ गया तो किसी तरह विभागीय कार्यालय को ढूंढकर आवेदन दे ही चलता है, भगवान ने चाहा तो निराकरण हो जाएगा। जनसुनवाई की यह दयनीय स्थिति तहसील मुख्यालय पर होती तो चल भी जाती लेकिन जहां जिले का मुखिया बैठता हो वहां यदि अधिकारियों का ऐसा रवैया हो तो निश्चित रूप से इसे सुशासन नहीं कहा जा सकता है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर मौजूद नहीं थे। जिसका साफ असर अन्य विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति व कार्यप्रणाली में देखने को मिला। यही नहीं जहां पिछले मंगलवार को शिकायतकर्ताओं की संख्या एक सैकड़ा के करीब जा पहुंची थी वह इस बार आधा सैकड़ा को भी नहीं छू पायी। इसके बावजूद जो भी शिकायतकर्ता आए उनकी समस्याओं का निराकरण भी जनसुनवाई नहीं हुआ। अधिकांश शिकायतकर्ताओं को आवेदन लेकर चलता कर दिया गया तो कुछ को संबंधित विभागों के कार्यालय में आवेदन देने के लिए कह दिया गया।
समूह संचालक नहीं कर रहा है रसोइये का भुगतान
जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर स्थित ग्राम कुड़का से आयी हरिबाई पत्नी हरीचरण ओझा ने बताया कि वह शासकीय प्राथमिक विद्यालय ग्राम चक्क लोड़ा बनियानी में रसोईया है। इस स्कूल में 40 बच्चे अध्ययनरत हैं। इन बच्चों को मध्यान्ह भोजन बनाने का काम जय शारदा समूह करता है जिसका अध्यक्ष गोपाल अहिरवार है। समूह द्वारा खाना बनाने के लिए दो रसोईया रखे गए हैं जिन्हें दो हजार रुपए प्रति माह भुगतान होता है। लेकिन समूह संचालक पिछले तीन साल से एक रसोईये को तो पैसे दे रहा है लेकिन मुझे नहीं दिए हैं। समूह संचालक से जब मैंने पैसे मांगेें तो कहने लगा कि तुम जहां चाहो शिकायत कर आओ, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। शिकायतकर्ता रसोईया का कहना है कि उसने इसकी शिकायत शिक्षा विभाग में भी की लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद आज मैं जनसुनवाई में आई तो अधिकारियों ने जनपद पंचायत कार्यालय में आवेदन देने के लिए कह दिया।
डिलेवरी के 9 माह बाद भी नहीं मिले पैसे
जिले के दूरस्थ ग्राम फतेहगढ़ के उपस्वास्थ्य केंद्र में अपनी पत्नी राजीबाई की डिलेवरी कराने वाले पति राजू सहरिया ने जनसुनवाई में बताया कि उसे आज तक सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत मिलने वाली राशि नहीं मिल सकी है। स्वास्थ्य केंद्र स्टाफ से जब नहीं मिलने का कारण पूछा तो कुछ नहीं बताया। हमने पूरे कागज दे दिए हैं।

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