मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने अमरीका के प्रतिबंधों के जवाब में समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन किया है। समृद्ध यूरेनियम का उपयोग रिएक्टर ईंधन और संभावित परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जाता है।
यूरोपीय राष्ट्रों ने चेतावनी दी है कि 2015 परमाणु समझौते का कोई भी उल्लंघन कुछ भी परिणाम ला सकता है। यदि IAEA द्वारा ईरान की ओर से समझौते के उल्लंघन की पुष्टि की जाती है, तो यह सौदा बहुपक्षीय प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की अनुमति देता है जो ईरान द्वारा अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने के बदले में उठाए गए थे।
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बता दें कि ईरान ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब मिडिल ईस्ट में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। ईरान द्वारा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में अमरीकी ड्रोन को मार गिराए जाने और अमरीका के तेल टैंकरों पर हमलों के पीछे ईरान पर आरोप लगाए जाने के बाद गल्फ में तनाव बढ़ा हुआ है।
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दरअसल, मई 2018 में 2015 परमाणु समझौते से अमरीका के हटने के बाद ईरान की अर्थव्यवस्था में मंदी आ गई। इसके बाद ईरान ने अपने तेल और बैंकिंग क्षेत्रों को लक्षित करने वाले प्रतिबंधों को फिर से बहाल करना शुरू कर दिया।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 2015 का सौदा त्रुटिपूर्ण था और वह ईरान सरकार को शर्तों को फिर से लागू करने के लिए मजबूर करना चाहते थे, जिसपर ईरान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
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इसके बाद मई में अमरीका द्वारा ईरानी तेल का आयात करने वाले देशों के लिए प्रतिबंध से छूट समाप्त होने के बाद ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने घोषणा की कि यह अब 300 किलोग्राम समृद्ध यूरिनियम कैप का अनुपालन नहीं करेगा।
इसके लिए ईरान ने पांचों देशों ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस को चेतावनी दी और कहा कि 7 जुलाई तक ईरान को प्रतिबंधों के प्रभाव से बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें।
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