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एक तेंदुआ 4 टीमों और 8 घंटे, जानिए फिर क्या हुआ, देखें वीडियो

locationग्रेटर नोएडाPublished: Jan 21, 2019 04:50:56 pm

Submitted by:

virendra sharma

. सादुल्लापुर गांव में रविवार को तेंदुआ दिखाई देने से इलाके में दहशत फैल गई। जंगल से भटकने के बाद गांव में पहुंचे तेंदुआ ने आइटीबीपी के जवान पर हमला कर घायल कर दिया।

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एक तेंदुआ 4 टीमों और 8 घंटे, जानिए फिर क्या हुआ

ग्रेटर नोएडा. सादुल्लापुर गांव में रविवार को तेंदुआ दिखाई देने से इलाके में दहशत फैल गई। जंगल से भटकने के बाद गांव में पहुंचे तेंदुआ ने आइटीबीपी के जवान पर हमला कर घायल कर दिया। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम सतर्क हो गई है। दिल्ली से भी विशेषज्ञों की टीम को बुलाया गया है। तेंदुए गांव के पास खेत में बने फार्म हाउस को अपना ठिकाना बनाता रहा। वन विभाग की चार टीमों ने कड़ी मशक्कत के बाद में 8 घंटे में उसे बेहोश करने के बाद में पकड़ा।
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सादुल्लापुर गांव में रविवार की सुबह करीब 9 बजे घने कोहरे के बाद तेंदुए दिखाई देने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। तेंदुए को देखने के लिए आस—पास के ग्रामीणों की मौके पर भीड़ इक्टठा हो गई। उधर तेंदुए गांव में रामनिवास के घर में घुस गया। मकान में काफी देर रहने के बाद यह खेतों से होते हुए गांव से सटे जयवीर के फार्म हाउस में चला गया। मौके पर पहुंची टीम को स्थानीय लोगों ने खेतों और बाउन्ड्री वाल को पार कर कुलांचे भरते तेंदुए की फोटो वहां जमा लोगों ने अपने मोबाइल फोन से उतारी। तेंदुए के गांव में देखे जाने से आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई। तेंदुए को पकड़ने के लिए करीब 3 बजे दिल्ली, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर और मेरठ की वन विभाग की टीमों को बुलाना पड़ा। इन टीमों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। वहीं भीड़ को संभालने के लिए भी पुलिस को मेेहनत करनी पड़ी।
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वन विभाग की टीम को 8 करनी पड़ी मशक्कत

तेंदुआ को पकड़ने के दौरान जरुरी संसाधन की कमी भी दिखाई दी। हाईटेक सिटी कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यहीं वजह से बुलंदशहर, दिल्ली और मेरठ से भी टीमों को बुलाना पड़ा। जाल और अन्य संसाधन मंगवाए गए है। तेंदुआ को पकड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन आने में 4 घंटे से अधिक समय लग गया। उधर मौके पर लोगों को भीड़ जमा रही। ऐसे में वह नुकसान पहुंचा सकता था। लेकिन वन विभाग की टीम के पास उसे रोकने के भी कोई साधन नहीं थे।
यह बरती गई सावधानी

एक तरफ जहां वन विभाग की टीम के पास में जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए पिंजड़ा नहीं था। साथ ही इंजेक्शन लगाने के भी साधन नहीं थे। दूरबीन भी नहीं है। जिला वन अधिकारी पीके श्रीवास्तव का कहना है कि हर संसाधन होना अनिवार्य नहीं है। जिले में वन क्षेत्र न होने की वजह से जरुरत नहीं पड़ती है। पिछले दिनों बागपत में भी तेंदुआ दिखाई दिया था। पकड़ने के दौरान चलाए गए ऑपरेशन से उसकी मौत हो गई थी। नशीला इंजेक्शन ओवरडोज होने उसकी वजह बताई गई थी। उस घटना को देखते हुए पशु चिकित्सकों से पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही इंजेक्शन की कार्रवाई शुरू की गई थी।
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