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मायावती के पिता आैर भार्इ पर आरोप लगाने वालों को हार्इकोर्ट ने दिया एेसा जवाब, बसपा में खुशी की लहर

locationग्रेटर नोएडाPublished: Aug 28, 2018 11:51:23 am

Submitted by:

Nitin Sharma

बादलपुर जमीन मामले में की गर्इ थी सीबीआर्इ जांच की मांग

mayawati

मायावती के पिता आैर भार्इ पर आरोप लगाने वालों को हार्इकोर्ट ने दिया एेसा जवाब, बसपा में खुशी की लहर

नोएडा।यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री आैर शो विडो कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर जिले की बेटी मायावती को सोमवार के इलाहाबाद कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।जिसके बाद से बसपा पार्टी में खुशी की लहर दौड़ गर्इ है।दरअसल कोर्ट ने मायावती के गांव बादलपुर से ही किसान द्वारा लगार्इ जाने वाली जनहित याचिका को सोमवार को कोर्ट ने खारिज कर दिया।इस याचिका में मायावती के अपने गांव के ही शख्स ने उन पर सत्ता का गलत फायदा उठाने समेत जबरन अधिग्रहण कर आशियाना बनाने के साथ ही जमीन पर कब्जा लेने का आरोप लगाया था।इसमें उनके पिता आैर भार्इ का नाम भी शामिल था।जिसमें मायावती समेत उनके पिता आैर भार्इ को राहत मिल गर्इ है।

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गांव के ही शख्स ने मायावती पर आरोप लगाते हुए कोर्ट में दी थी याचिका

दरअसल ग्रेटर नोएडा के संदीप भाटी ने बादलपुर में 47,433 वर्ग मीटर कृषि की जमीन का गलत तरीके से लैंड यूज चेंज करने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी।इसके लिए उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी।उन्होंने आरोप लगाया था कि कंपनी बनाकर रोजगार के अवसर पैदा करने के नाम पर ली गर्इ। जमीन पर मायावती ने भव्य कोठी बनार्इ।वहीं कोठी मायावती ने परिवार के लोगों नाम कर ली। उधर बाकी जमीन कागजों में कंपनी के लिए अलाॅट की गर्इ थी।आरोप है कि इस जमीन पर कंपनी बनना तो दूर आज भी फसल की जा रही हैं।जबकि किसानों से यह जमीन 2002 से 2005 के बीच गांव के किसानों से अधिग्रहण की गई।

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जमीन अधिग्रहण के विरोध में हुआ था बड़ा आंदोलन

2002 से 2005 के बीच हुर्इ जमीन अधिग्रहण को लेकर 2006-07 में बादलपुर में बड़ा आंदोलन हुआ था। इसमें कांग्रेस ने भी जमकर बसपा पर हमला बोला था।उस दौरान कांग्रेसी नेता वीरेंद्र गुड्डू समेत अन्य किसानों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर जमकर राजनीति की थी। जिसके बाद मामले में जांच भी होने की बात कही थी। हालांकि उस वक्त प्राधिकरण के कुछ अफसरों पर भी मायावती के खास होने की वजह से मामले को दबाने के आरोप लगे थे। बाद में यह सारा मामला शांत हो गया था। वहीं अब ग्यारह साल बाद इस मामले में मायावती के खिलाफ इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर करने पर हार्इकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।

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