scriptयह यूनिवर्सिटी देगी डिजिटल कार्ड, एक क्लिक पर यह जानकारी कर सकेंगे हासिल | DDU will issue digital card for Library, can see details in one click | Patrika News

यह यूनिवर्सिटी देगी डिजिटल कार्ड, एक क्लिक पर यह जानकारी कर सकेंगे हासिल

locationगोरखपुरPublished: Jun 15, 2019 01:50:15 am

ऑटोमेशन से मिलेंगे कई फायदे- पहले चरण में 67000 पुस्तकों की डिजिटल आइडेंटिटी तैयार की गई है

DDU Library

यह यूनिवर्सिटी देगी डिजिटल कार्ड, एक क्लिक पर यह जानकारी हासिल कर सकेंगे

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी में अब विद्यार्थियों को किताबें लेने या वापस करने के लिए काउंटर पर देर तक नहीं रुकना पड़ेगा। विद्यार्थी के डिजिटल लाइब्रेरी कार्ड पर एक क्लिक से उसके अकाउंट की सूचना स्क्रीन पर दिखने लगेगी। उसे दी जाने वाली किताब पर पड़े बारकोड पर दूसरे क्लिक के बाद उस किताब की सभी सूचनाएं भी स्क्रीन पर आ जाएंगी और किताब लेने या वापस करने का प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
यह भी पढ़ें

इस मशहूर अभिनेत्री पर हुआ एफआर्इआर, यूपी पुलिस ने इस मामले में दर्ज किया केस


विश्वविद्यालय के केंद्रीय ग्रंथालय में ऑटोमेशन का पहला चरण पूरा हो गया है। कुलपति प्रो. विजयकृष्ण सिंह ने लाइब्रेरी में जाकर पहले चरण के ऑटोमेशन का खुद जायजा लिया। वे लाइब्रेरी के उस काउंटर पर पहुंचे जहां से विद्यार्थी किताबें इशू कराते है या जमा करते हैं। वहां उन्होंने इस प्रक्रिया का निरीक्षण किया।
यह भी पढ़ें

Shootout at Gorakhpur पुलिस एनकाउंटर में पच्चीस हजारी इनामिया को लगी गोली, अंधेरे में एक बदमाश फरार


कुलपति ने इस डिजिटल ऑटोमेशन से लाइब्रेरी की व्यवस्था में होने वाले सुधार और विद्यार्थियों को मिलने वाले फायदों के बारे में पूछताछ की तथा इसे और अधिक उपयोगी बनाने के लिए सुखाव और निर्देश भी दिए। इस निरीक्षण में उनके साथ इस परियोजना को वित्तपोषित कर रही ‘रूसा’ के समन्वयक प्रो. राजवन्त राव, वित्त अधिकारी वीरेंद्र चैबे और लेखाधिकारी पीएन सिंह भी उपस्थित रहे।
सनद रहे कि यूजीसी और शासन के निर्देशों के बावजूद विवि की लाइब्रेरी में ऑटोमेशन की प्रक्रिया किसी न किसी वजह से शुरू नही हो पा रही थी। लेकिन गत वर्ष कुलपति प्रो. विजयकृष्ण सिंह ने इस प्रस्ताव को प्राथमिकताओं में शामिल किया और रूसा से वित्तपोषित कराए जाने को मंजूरी भी दी। इस हरी झंडी के बाद बीते नवम्बर में ऑटोमेशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
यह भी पढ़ें

तीन साल से एक दूसरे को करते थे अटूट प्रेम, गांव के बाहर पेड़ से लटकती हुई दोनों की लाश मिली


विवि के मानद ग्रंथालयी प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने बताया कि पहले चरण में 67000 पुस्तकों का लक्ष्य रखा गया था जो पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में लगभग दो लाख और पुस्तकों की डिजिटल आइडेंटिटी , लोकेशन और क्लासिफिकेशन का काम होना है। इसकी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
यह होगा फायदा

-इन किताबों पर लगाये गए बारकोड पर एक क्लिक के बाद कंप्यूटर स्क्रीन पर किताब का नाम, लेखक, प्रकाशक का नाम, उसका एक्सेशन नम्बर, मूल्य आदि के साथ- साथ वह लाइब्रेरी के किस सेक्शन में किस रैक पर कहाँ रखी गयी है ,यह भी नजर आ जायेगा।
-विद्यार्थी द्वारा वांछित किसी भी किताब की उपलब्धता के बारे में तुरन्त जानकारी मिल जाएगी।
– कोई किताब किसे इशू की गई है और कब की गई है इसकी जानकारी के लिए मोटे मोटे रजिस्टरों के पन्ने नही पलटने पड़ेंगे।
-लाइब्रेरी मैनेजमेंट बेहद सुविधाजनक हो जाएगा। प्रतिदिन निर्गत और वापस हुई किताबों का ब्यौरा एक क्लिक पर उपलब्ध होगा।

ट्रेंडिंग वीडियो