इस मामले में हुई गिरफ्तारी डाॅ.कफिल अहमद खान की गिरफ्तारी करीब नौ साल पहले एक मामले में हुई है। साल 2009 में गोरखपुर के सुमेर सागर स्थित यूनियन बैंक में एक खाता खोला गया था। फेजान नाम से खोले गए इस खाते में जिस डीएल का इस्तेमाल किया गया था वह पूरी तरह से फर्जी था। उस पर जिस फोटो का इस्तेमाल किया गया था वह राजघाट शेखपुरा के रहने वाले मुजफ्फर आलम का था। आरोप है कि इस खाते का संचालन आदिल अहमद खान करते थे। खाते से करीब दो करोड़ रुपये का लेनदेन भी हो चुका है। 2014 में मुजफ्फर आलम को इस बाबत जानकारी हुई। उन्होंने बैंक में शिकायती पत्र देकर उनके फोटो का इस्तेमाल किए गए खाते को बंद करने और कार्रवाई की मांग की। चार साल बाद इस साल 2018 मई में पुलिस को मुजफ्फर आलम की ओर से एक प्रार्थना पत्र दिया गया। इसमें आदिल अहमद खान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। पुलिस ने आनन फानन में जांच शुरू कर दिया। जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने आदिल और फैजान के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।
पुलिस के अनुसार विवेचना के दौरान यह पाया गया कि इस साजिश में डाॅ.कफिल खान भी शामिल हैं। मुजफ्फर आलम ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया। इसके बाद पुलिस ने धारा 120 बी के तहत डाॅ.कफिल के खिलाफ भी कार्रवाई की।
हालांकि, जानकार बताते हैं कि जालसाजी के मामले में डाॅ.कफिल का नाम राजनैतिक साजिश का हिस्सा है। बहरहाल, पुलिस अपनी कार्रवाई को विवेचना के आधार पर अंजाम देने की बात कह रही।
पुलिस के अनुसार विवेचना के दौरान यह पाया गया कि इस साजिश में डाॅ.कफिल खान भी शामिल हैं। मुजफ्फर आलम ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया। इसके बाद पुलिस ने धारा 120 बी के तहत डाॅ.कफिल के खिलाफ भी कार्रवाई की।
हालांकि, जानकार बताते हैं कि जालसाजी के मामले में डाॅ.कफिल का नाम राजनैतिक साजिश का हिस्सा है। बहरहाल, पुलिस अपनी कार्रवाई को विवेचना के आधार पर अंजाम देने की बात कह रही।