निषाद पार्टी ने बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन किया था। समाजवादी पार्टी से नाराज होकर भाजपा से हाथ मिलाए निषाद पार्टी को यह उम्मीद थी कि भारतीय जनता पार्टी उसको मनचाही सीट देने का ऐलान कर देगी। खुद डाॅ.संजय निषाद ने पत्रिका से बातचीत में बताया था कि गोरखपुर सीट पर निवर्तमान सांसद प्रवीण निषाद भाजपा की सिंबल से लड़ेंगे और बाकी दो सीटों पर निषाद पार्टी अपने सिंबल से चुनाव मैदान में होगी। उन्होंने गठबंधन के ऐलान के साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को बीजेपी के पक्ष में प्रचार करने का भी आह्वान कर दिया। लेकिन एक सप्ताह से अधिक समय बीतने के बाद निषाद पार्टी अब खुद को असमंजस में पा रही है। पार्टी के लोग सीटों के बंटवारे के ऐलान को लेकर बेचैन हैं।
निषाद पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि गठबंधन के ऐलान के पहले जो वार्ता हुई थी उसमें तीन सीटों को देने की बात हुई थी। वह बताते हैं कि गोरखपुर के प्रत्याशी का ऐलान भाजपा को करना था और दो सीटों को निषाद पार्टी के कोटे में देना था। भाजपा कई लिस्ट जारी कर चुकी है लेकिन हम लोगों को आश्वासन केवल दे रही है। कार्यकर्ताओं अब परेशान होना शुरू हो गए हैं।
निषाद पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि गठबंधन के ऐलान के पहले जो वार्ता हुई थी उसमें तीन सीटों को देने की बात हुई थी। वह बताते हैं कि गोरखपुर के प्रत्याशी का ऐलान भाजपा को करना था और दो सीटों को निषाद पार्टी के कोटे में देना था। भाजपा कई लिस्ट जारी कर चुकी है लेकिन हम लोगों को आश्वासन केवल दे रही है। कार्यकर्ताओं अब परेशान होना शुरू हो गए हैं।
निषाद पार्टी को चाहिए तीन सीट निषाद पार्टी के प्रवक्ता निक्की निषाद का कहना है कि गोरखपुर, भदोही व जौनपुर सीट पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन में यह तीनों सीटों फाइनल किया गया है। जल्द ही इन सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया जाएगा। हालांकि, कब ऐलान होगा यह जवाब वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पर टाल देते हैं।
दो बाहुबलियों पर निषाद पार्टी लगाएगी दांव निषाद पार्टी गठबंधन में संभावित दो सीटों पर बाहुबलियों पर दांव लगाने का निर्णय ले चुकी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भदोही सीट पर निषाद पार्टी अपने पुराने साथी बाहुबली विधायक विजय मिश्र को लड़ाएगी तो जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से बाहुबली धनंजय सिंह को प्रत्याशी बनाने जा रही है। निषाद पार्टी से निष्कासित किए गए विधायक विजय मिश्र का दो दिन पहले ही पार्टी में ससम्मान वापसी भी किया गया है। उनको फिर से प्रमुख महासचिव के पद पर आसीन भी कर दिया गया है।
बीजेपी तीनों सीटों पर छवि को लेकर कर रही है मंथन गोरखपुर सीट भारतीय जनता पार्टी की पारंपरिक सीट है। करीब तीस सालों से यह सीट पार्टी के पास थी। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी और इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने इस सीट को फिर से जीतने के बाद निषाद पार्टी को तोड़ तो लिया है लेकिन अब वह अपनी छवि और भीतरघात को लेकर बेचैन है। पार्टी पशोपेश में है कि अगर निषाद पार्टी के प्रत्याशी को वह गोरखपुर से उतारेगी तो विरोधी यह कहेंगे कि विकास और सुशासन का दावा करने वाली बीजेपी के पास कोई चेहरा ही नहीं मिला। जबकि अगर वह निषाद पार्टी के कैंडिडेट को नहीं उतारती है तो निषाद समाज की नाराजगी का डर भी है। यही नहीं निषाद पार्टी को सीट देने पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी और भीतरघात की भी आशंका से परेशान है। भाजपा इस सीट पर मध्यममार्ग निकालने की फिराक में है।
उधर, जौनपुर व भदोही की सीट पर निषाद पार्टी ने दो बाहुबलियों को उतारने का निर्णय ले लिया है। भाजपा के शीर्ष नेता इन दो बाहुबलियों के उतरने से अपनी छवि को लेकर भी परेशान हैं। वह मंथन कर रहे हैं कि इन दो बाहुबलियों के मैदान में आने से भाजपा को आसपास की सीटों पर नुकसान तो नहीं उठाना पड़ेगा।
उधर, जौनपुर व भदोही की सीट पर निषाद पार्टी ने दो बाहुबलियों को उतारने का निर्णय ले लिया है। भाजपा के शीर्ष नेता इन दो बाहुबलियों के उतरने से अपनी छवि को लेकर भी परेशान हैं। वह मंथन कर रहे हैं कि इन दो बाहुबलियों के मैदान में आने से भाजपा को आसपास की सीटों पर नुकसान तो नहीं उठाना पड़ेगा।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भदोही भेजने पर भी विचार भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर की सीट को अपने पास रखते हुए भदोही लोकसभा सीट से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को उतारने पर भी मंथन कर रही है। ऐसा करने से एक मध्यमार्ग निकलता दिख रहा है। रणनीतिकार बताते हैं कि गोरखपुर में भाजपा अपना प्रत्याशी उतार अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को कायम रखने के साथ निषादों की नाराजगी को भी दूर कर देगी। निषाद समाज में यह संदेश जाएगा कि भदोही से निषाद पार्टी के संजय निषाद को उतारकर सजातीय लोगों का सम्मान किया है।