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दुर्गा प्रतिमा विसर्जन को लेकर बवाल, पढ़ें- आखिर क्या था पूरा मामला

locationगोंडाPublished: Oct 22, 2018 09:50:37 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

गोण्डा जिले के करनैलगंज में 27 वर्षों बाद एक बार फिर संप्रदायिकता की आग भड़क उठी…

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दुर्गा प्रतिमा विसर्जन को लेकर बवाल, पढ़ें- आखिर क्या था पूरा मामला

गोण्डा. हुजूरपुर कर्नलगंज राजकीय राजमार्ग की करीब 5 किलोमीटर सड़क बाराव गांव से लेकर खिंदुरी, निंदूरा किटौली तक पूरी सड़क पर अघोषित कर्फ्यू जैसी स्थिति है। जगह-जगह पुलिस, आरएएफ, सीआरपीएफ, पीएससी तैनात है। कहीं-कहीं लोग झुंड में सड़कों और और पुलिस टीम को देखते रहे।
गोण्डा जिले के करनैलगंज में 27 वर्षों बाद एक बार फिर संप्रदायिकता की आग भड़क उठी। गनीमत यह रही कि इस बार कोई जनहानि नहीं हुई। लेकिन इस बार अराजकता की हद उस समय पार कर दी गई जब राज्य मार्ग से दुर्गा प्रतिमाओं को निकलने नहीं दिया गया। यहां ताकतवर होते हुए भी जिला प्रशासन ने खून खराबे की संभावना को देखते हुए, खून का घूंट पीते हुए घुटने टेक दिया। जिससे अराजक तत्वों का मनोबल बढ़ गया।
क्या है पूरा मामला
बताते चलें कि बाराव गांव में पहले छोटी मूर्ति रखी जाती थी और खिंदुरी निंदूरा किटौली के राज्य मार्ग होते हुए चुपचाप से करनैलगंज के सकरौरा घाट स्थित सरयू नदी में विसर्जन किया जाता था, लेकिन इस बार बकौल बाराव गांव के ग्रामीणों के मुताबिक, विधायक प्रतीक भूषण शरण सिंह और बावन सिंह के कहने पर बड़ी मूर्ति रखकर 5 दिनों तक पूजा पाठ किया गया और दशहरे के दूसरे दिन जब विसर्जन पूर्व की भांति राजकीय राज्यमार्ग हुजूरपुर करनैलगंज पर जाने को तैयार हुआ था कि खिंदुरी, निंदूरा गांव के लोग एकजुट होकर सड़क पर बैरिकेडिंग लगा कर सड़क जाम कर दिए कि मूर्ति इधर से नहीं जाएगी। इसके कारण इस राज्य मार्ग पर हुजूरपुर से लखनऊ आने वाले सवारी वाहन, प्राइवेट वाहन, बाइकों का आवागमन बंद हो गया और जो आया भी उन पर पथराव किया गया। चार बाइकों को आग के हवाले भी कर दिया गया। सड़क जाम को देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस बल और पीएसी तैनात कर रास्ते को खुलवाने लगा ,लेकिन लोगों के विरोध और आक्रोश के कारण पुलिस प्रशासन को चुप रहकर बैक फुट पर आना पड़ा।
दूसरी तरफ बरांव के लोग मूर्ति को परंपरागत तरीके से इस मार्ग से ले जाने के लिए अडिग रहे। मौके की नजाकत को देखते हुए जिले के आला अधिकारी भी देर सायं मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों से वार्ता किए, लेकिन कोई पक्ष मानने को तैयार नहीं था और जब प्रशासन ने थोड़ा सख्त किया तो आसपास के मस्जिदों से अलाउंस कर लोगों को एकत्रित कर लिया गया। इससे प्रशासन बरांव आकर अपने देख रेख में ग्रामीणों को रोक कर मूर्ति एक वाहन पर रख कर मूर्ति लेकर चले तो सड़क जाम किये लोग एक भी नहीं सुने। लोग उग्र होकर हमलावर हो चुके थे। प्रशासन ने मौके की नजाकत को भांपते हुए मूर्ति को लेकर पुनः एक बार गांव वापस ले आया, जहां से मूर्ति रखने वाला वाहन चालक फरार हो गया था। ग्रामीण मूर्ति को देख नारेबाजी करने लगे तो प्रशासन ने ग्रामीणों को खदेड़ दिया। पुरुषों को खदेड़ने के बाद महिलाएं मूर्ति की सुरक्षा में कमान संभाल ली और उसी रास्ते से मूर्ति ले जाने के लिए जिद करने लगी। प्रशासन के जबरदस्ती करने पर पुलिस पर पथराव कर दिया, जिससे जिलाधिकारी घायल हो गए। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर महिलाओं की पिटाई कर दी जिसमें महिला पुलिसकर्मी भी रही, इस लाठीचार्ज में आधे दर्जन महिलाएं घायल हो गई, फिर आनन-फानन में मूर्ति को पुलिस ने कब्जे में लेकर मूर्ति रखे वाहन चालक के भाग जाने पर उक्त वाहन को दूसरे वाहन से टोचिन कर दूसरे रास्ते से ले जाकर विसर्जन कराये।
मूर्ति को प्रशासन अपने कब्जे में ले जाकर विसर्जित किया इसमें भी ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन राजकीय मार्ग से न ले जाकर दूसरे रास्ते से ले जाकर विसर्जन किया गया, लेकिन प्रशासन का कहना है कि मूर्ति विसर्जन परंपरागत रास्ते से कराया गया।

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