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जनरल वीके सिंह फिर शामिल हुए मोदी 2.0 मंत्रिमंडल में, यह बड़ी जिम्‍मेदारी मिली

locationगाज़ियाबादPublished: May 31, 2019 04:15:42 pm

Submitted by:

sharad asthana

जनरल वीके सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से चुने गए हैं सांसद
67 साल के वीके सिंह की कुल संपत्ति 5.65 करोड़ रुपये है
2014 के लोकसभा चुनाव में हासिल की थी देश में दूसरी सबसे बड़ी जीत

General VK Singh

बड़ी जीत दर्ज करने वाले जनरल वीके सिंह को आया मोदी का फोन, मिल सकती है यह जिम्‍मेदारी

गाजियाबाद। जनरल विजय कुमार सिंह को लोग वीके सिंह (V. K. Singh) के नाम से ज्‍यादा पहचानते हैं। सेना में सर्वोच्‍च पद पर रह चुके जनरल वीके सिंह (V. K. Singh) 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से सांसद चुने गए हैं। उन्‍होंने पांच लाख से ज्‍यादा वोटों से गठबंधन (सपा-बसपा-रालोद) के प्रत्‍याशी सुरेश बंसल को हराया है। उन्‍हें इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल किया गया है। उन्हें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री की जिम्‍मेदारी दी गई है। पिछली बार जनरल वीके सिंह को विदेश राज्‍यमंत्री का पद मिला था। आइए हम आपको बताते हैं कि जनरल वीके सिंह राजनीति में कैसे आएं।
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सेना में जनरल रह चुके हैं वीके सिंह

राजनीति में आने से पहले जनरल वीके सिंह सेना में जनरल के पद पर रह चुके हैं। उनका जन्‍म 10 मई 1951 को हरियाणा के भिवानी जिले के बपोरा गांव में हुआ था। उनके पिता जगत सिंह सेना में कर्नल थे जबक‍ि दादा जेसीओ थे। वह परिवार में तीसरी पीढ़ी हैं, जो सेना में आए। उन्‍होंने राजस्‍थान के पिलानी के बिड़ला पब्लिक स्‍कूल से शुरुआती पढ़ाई की थी। डिफेंस सर्विस स्‍टाफ कॉलेज से उन्‍होंने ग्रेजुएशन की। वह नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के भी होनहार छात्र रह चुके हैं। इसके अलावा उन्‍होंने भोपाल की बर्कतुल्‍ला यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी की है।
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सेना में करियर

सेना में उनकी शुरुआत 14 जून 1970 को राजपूत रेजीमेंट की सेकंड बटालियन से हुर्ह थी। सेकंड राजपूत बटालियन में इंटेलीजेंस ऑफिसर के तौर पर उन्‍होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध को काफी करीब से देखा था। इसके बाद उन्‍होंने सेना में कई जिम्‍मेदारियां संभालीं और ऑपरेशन के गवाह बने। 31 मार्च 2010 को वह 24वें चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ बने। ऐसा करने वाले वह पहले कमांडो थे। सेना में 42 वर्ष तक योगदान देने के बाद वीके सिंह 31 मई 2012 को वह इस पद से रिटायर हो गए। उनके रिटायरमेंट के समय उनकी उम्र को लेकर भी कुछ विवाद हुआ था। उनको परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल समेत कई बड़े सम्‍मान मिल चुके हैं।
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अन्‍ना हजारे के आंदोलन का भी बने हिस्‍सा

इसके बाद वह प्रसिद्ध समाजसेवी अन्‍ना हजारे के भ्रष्‍टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्‍सा बन गए। अगस्‍त 2012 में वह दिल्‍ली के रामलीला मैदान में डटे रहे। उस समय वहां योग गुरु रामदेव काला धन और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले 1 मार्च को उन्‍होंने भाजपा ज्‍वाइन कर ली। उन्‍हें पार्टी की तरफ से गाजियाबाद से टिकट दिया गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह को गाजियाबाद से टिकट दिया गया था। अगले चुनाव में राजनाथ सिंह को लखनऊ भेजकर गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह को मौका दिया गया।
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2014 के लोकसभा चुनाव में मिले थे बंपर वोट

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने बंपर वोट हासिल किए। उन्‍हें उस चुनाव में 7.58 लाख वोट मिले थे। उन्‍होंने कांग्रेस उम्‍मीदवार राजबब्‍बर को 5 लाख 67 हजार मतों से पराजित किया था। वोटों के लिहाज से यह देश में उनकी दूसरी सबसे बड़ी जीत थी। इसका इनाम उन्‍हें मंत्रिमंडल में जगह पाकर मिला। उन्‍हें विदेश राज्‍यमंत्री के तौर पर काम करने का मौका मिला। इस दौरान उन्‍होंने लीबिया, यूक्रेन और यमन में फंसे भारतीयों को सफलतापूर्वक भारत वापस लाने की जिम्मेदारी भी निभाई। उन्‍होंने कुछ समय के लिए उत्‍तर-पूर्वी राज्‍यों के विकास का दायित्‍व भी संभाला है।
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2019 लोकसभा चुनाव में मिले 9 लाख से ज्‍यादा वोट

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से जनरल वीके सिंह पर भरोसा जताया। इस बार भी उन्‍होंने रिकॉर्ड वोट हासिल किए। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें नौ लाख से ज्‍यादा वोट मिले थे और उन्‍होंने 5 लाख से ज्‍यादा मतों से गठबंधन प्रत्‍याशी को हराया था।
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यह है परिवार

जनरल वीके सिंह की शादी 1975 में भारती सिंह से हुई थी। उनके दो बेटियां हैं। चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र के अनुसार, 67 साल के वीके सिंह की कुल संपत्ति 5.65 करोड़ रुपये है जबक‍ि उनके ऊपर कोई देनदारी नहीं है।
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