scriptकश्मीर और केंद्र सरकार के बीच सुलह के सेतु बने दिनेश्वर | Dineshwar became the bridge of reconciliation of Kashmir and Governmen | Patrika News

कश्मीर और केंद्र सरकार के बीच सुलह के सेतु बने दिनेश्वर

locationगयाPublished: Aug 06, 2019 06:17:24 pm

Submitted by:

Navneet Sharma

सरकार और कश्मीर के बीच सुलह का किरदार: धारा 370और 35(ए)को हटाने के पूर्व बिहार में गया के आईपीएस दिनेश्वर शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष जम्मू कश्मीर की हकीकत का सही खांका खींचने का काम किया है।

कश्मीर और केंद्र सरकार के बीच सुलह के सेतू बने दिनेश्वर

कश्मीर और केंद्र सरकार के बीच सुलह के सेतू बने दिनेश्वर

गया, (प्रियरंजन भारती) बिहार की प्रतिभा और सख्शियत देश के हर कोने में मौजूद रहकर अपनी अहमीयत का लोहा मनवाती रही है। इसी कडी में गया के आईपीएस अधिकारी दिनेश्वर शर्मा(Dineshwar sharma) ने भी जम्मू कश्मीर में वार्ताकार नियुक्त होने के बाद बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आईबी चीफ के पद से 2017में सेवा निवृत हुए गया के दिनेश्वर शर्मा ने जम्मू कश्मीर की सच्चाई और हालात से केंद्र सरकार को रूबरू करवाने में खासी भूमिका निभाई।
कश्मीर में बतौर वार्ताकार नियुक्त
दिसंबर 2017में सेवानिवृत्ति के बाद केंद्र सरकार ने शर्मा को जम्मू कश्मीर में हुर्रियत नेताओं(Hurriyat leaders) और अलगाववादी नेताओं से बातचीत कर कश्मीर समस्या के निदान के लिए वार्ताकार(Negotiator ) के रूप में नियुक्त किया। आईबी अधिकारी के रूप में दो दशक तक काम कर चुके शर्मा की तैनाती के बाद उनकी काबिलियत और सक्रियता का लाभ सरकार और वहां की अवाम को समय समय पर मिला।

पत्थरबाजी में शामिल छात्रों को दी दिशा
पत्थरबाजी में शामिल छात्रों और युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की इनकी पहल काफी असरदार रही। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के आगे जम्मू कश्मीर(Jammu Kashmir ) की सही तस्वीर पेश की और आज धारा370और 35(ए)(Section 370 and 35a) हटाने के पीछे किए गए उनके कार्यों से काफी मददगार साबित हुई।
अपने गांव के लोगों के साथ घुल—मिलकर करते हैं बात
1979बैच के आईपीएस अधिकारी दिनेश्वर शर्मा गया जिले के बेलागंज प्रखंड के पाली गांव के रहने वाले हैं। ग्रामीण इनकी सादगी की मिसाल कभी भुलाए नहीं भूलते। उनके परिवार के संतोष कुमार बताते हैं कि दिनेश्वर शर्मा हर साल गांव आते हैं। गाव आकर वह ग्रामीणों के बीच घुल मिल जाते हैं। गांव आकर वह ग्रामीणों से स्थानीय मगही भाषा में ही बातचीत करते हैं। आईपीएस और आइबी चीफ होने के बावजूद घर आने पर सुरक्षाकर्मियों को कभी वह साथ नहीं लाते। इस बार मार्च और जुलाई के शुरू में भी वह गांव आकर लौटे हैं।पाली गांव के ग्रामीण सुरेंद्र शर्मा कहते हैं कि हमें शर्मा जी से जीवन का महत्व सीखने की ज़रूरत है। हमें ऐसी सख्शियत पर हमें बहुत गर्व होता है।
बिहार के सैनिकों को भी अहम किरदार
कश्मीर को भारत की मूलधारा में वापसी और शांति बहाली में बिहार के सैनिकों का भी बड़ा योगदान है। बीते साल2018में बिहार के 86वीर सपूतों ने सीमा की हिफाजत और का़नून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बलिदान किया। कश्मीर घाटी में सिर्फ बिहार रेजिमेंट के अभी 6,000से अधिक सैनिक व अर्द्धसैनिक बलों के जवान मोर्चे पर हैं। इनमें सेना के अलावा बीएसएफ , राष्ट्रीय राइफल्स और सीआरपीएफ के वीर बिहारी जवान शामिल हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो