मामले में ग्रामीणों का आरोप है कि सडक़ बनाते समय गुणवत्ता का ठेकेदारों ने ध्यान नहीं रखा, वहीं अधिकारियों ने भी काम की गुणवत्ता जांचने के लिए समय नहीं निकाला। इसी के बदौलत सडक़ डेढ़ साल में ही गुणवत्ता की पोल खोल रही है। यहां बताना लाजमी होगा कि 495.62 लाख की लागत से खुटगांव से लेकर धूपकोट तक 9.5 किमी का सडक़ प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना की ओर से बनाई गई थी।
वहीं, सडक़ों में पड़ रही दरारों के साथ ही सडक़ दबने को लेकर अंचल के सत्याग्रही भी बहुत ज्यादा नाराज हो गए हैं। सत्याग्रहियों का साफ आरोप है कि गुणवत्ता को दरकिनार करते हुए सडक़ का निर्माण किया गया है, इसी के चलते ही समय से पहले सडक़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। मामले में सत्याग्रहियों ने जांच करवाए जाने की मांग करते हुए लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही है।
पहली बारिश में ही खुल गई सडक़ की पोल: मामले में गांव के नंदकुमार बघेल, रोशन लाल के साथ ही अन्य ग्रामीणों का आरोप है कि 4 करोड़ से भी ज्यादा की लागत से निर्माण हुआ सडक़ पहली बारिश भी झेल नहीं पाया। मामले में ग्रामीण बताते हैं कि ठेकेदार ने निर्माण के दौरान गुणवत्ता का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा। ग्रामीणों के मुताबिक सडक़ निर्माण के दौरान डब्लूबीएम करते समय ठेकेदार ने ठीक तरह से रोलर भी नहीं चलाया।
पीएमजीएसवाई इंजीनियर सौरभ दास ने बताया कि मैं जाकर सडक़ को देखूंगा। अगर इस तरह की स्थिति है, तो तत्काल सडक़ की स्थिति में सुधार किया जाएगा।
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