इन अवैध कुलापों का निरीक्षण करने का समय विभाग के टाइमकीपर और इंजीनियरों को नहीं मिल रहा है। जिसके कारण टेल एरिया दुलना के किसानों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा था। अभनपुर उपसंभाग में पदस्थ एसडीओ टीके मेश्राम तो किसानों का फोन ही नहीं उठा रहे। अपनी फसल के खराब होने और उसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बिगडऩे को भांपते हुए किसानों ने खुद ही पहल की और सरपंच ढालसिंग साहू के नेतृत्व में लगातार 3 दिनों से बजरंगपुर से दुलना तक के नहर में बने अवैध कुलापों को बंद करते हुए नहर में फैले गंदगी को साफ किया। तब कहीं जाकर दुलना के अन्नदाता किसानों को पानी नसीब हो पाया।
बता दें कि अभनपुर एसडीओ टीके मेश्राम अभनपुर मुख्यालय में निवास नहीं करते बल्कि दुर्ग स्थित अपने घर से ही आना-जाना करते हैं। मुख्यालय में नहीं रहने के कारण क्षेत्र के किसानों को जल संबंधी समस्याओं के निराकरण में काफी परेशानियां आती है। वर्तमान मामला भी उसी का प्रमाण है। सवाल यह है कि मेश्राम की इस लापरवाही से अगर किसानों में असंतोष भड़कने से कोई अप्रिय स्थिति निर्मित होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?