कुछ भी ऐसे फीचर्स मौजूद हैं, जिन्हें देखकर आप आईओएस और एंड्रॉयड में अंतर स्पष्ट रूप से पता लगा सकते हैं।
नई दिल्ली। शुरुआती दिनों में स्मार्टफोन को देखकर एंड्रॉयड और आईओएस में साफ अंतर नजर आ जाता था। अब स्थितियां काफी बदल गई हैं। अब दोनों मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम्स ने एक-दूसरे से फीचर्स अपना लिए हैं। फिर कुछ भी ऐसे फीचर्स मौजूद हैं, जिन्हें देखकर आप आईओएस और एंड्रॉइड में अंतर स्पष्ट रूप से पता लगा सकते हैं। जानते हैं इन अंतरों के बारे में-
लॉन्चर एप्सआप अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर इंटरफेस को आसानी से कस्टमाइज कर सकते हैं। यह सब लॉन्चर्स की मदद से संभव हुआ है। हालांकि आईओएस यूजर्स ऐसा नहीं कर सकते हैं। आईओएस डिवाइस में यूनीफॉर्म तरीके से ही आइकन्स नजर आता है। शुरुआत से लेकर आज तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
कन्ट्यूनिटीएप्पल के अपने सॉफ्टवेयर्स और हार्डवेयर के प्रति झुकाव है, पर इसमें आपको डिवाइस और प्लेटफॉर्म के बीच में एक क्लोज इंटीग्रेशन नजर आता है जो गूगल में दिखाई नहीं देता है। अगर आईफोन और मैकबुक ऑपरेटिंग सिस्टम के लेटेस्ट वर्जन्स पर रन कर रही है तो आप आईफोन और मैकबुक्स के बीच में कॉपी और पेस्ट भी कर सकते हैं।
Google में आया नया फीचर, अब तस्वीर पर लिखे टेक्स्ट को भी कर सकते हैं Translateडिफॉल्ट एपआईफोन को लॉन्च हुए 10 साल हो गए हैं, पर अब भी यूजर्स लिंक्स को सफारी के अलावा किसी अन्य ब्राउजर में ओपन नहीं कर सकते हैं। इसी तरह आपको बाई डिफॉल्ट ईमेल्स को मेल में और पिक्चर्स को फोटोज में ही ओपन करना पड़ेगा। एंड्रॉइड में ऐसा नहीं है। यहां डिफॉल्ट ब्राउजर, एसएमएस क्लाइंट या किसी अन्य चीज को बदल सकते हैं। एप्पल आईओएस के ऊपर थर्ड पार्टी एप्स को इजाजत नहीं देता है।
आईमैसेजऐसा नहीं है कि हर आईफोन यूजर का पसंदीदा मैसेजिंग एप आईमैसेज हो, पर यह एप्पल के सभी प्रोडक्ट्स के बीच में कम्यूनिकेशन को बेहतर तरीके से सिंक करता है। एप के अंदर भी बिल्ट इन इन्क्रिप्शन होता है। लंबे समय से यह माना जा रहा था कि गूगल हैंगआउट इसका जवाब होगा, पर अब गूगल एलो आ गया है। यह मोबाइल पर ही काम करता है। इसमें बाई डिफॉल्ट एंड टू एंड इन्क्रिप्शन टर्न ऑन नहीं होता है।
स्पॉटलाइटसर्चिंग की बात आती है, तो गूगल मास्टर ऑपरेटर साबित होता है, लेकिन यह आश्चर्य है कि एप्पल का आईओएस वाइड स्पॉटलाइट सर्च एंड्रॉइड की किसी भी चीज से बेहतर है। कुछ शब्द लिखें और आपको वेब पर, अपने कॉन्टैक्ट्स में, पास की लोकेशन पर, फोन की फाइल्स से रिजल्ट्स मिलने लगते हैं। गूगल थोड़ा बेहतर काम करता है, पर पूरी तरह से नहीं। एप्पल के पास ‘यूनिवर्सल सर्च’ का पेटेंट है। इसका इस्तेमाल एप्पल ने सैमसंग के विरूद्ध किया था। यही कारण है कि गूगल इस मामले में पिछड़ रहा है।
स्मार्ट अनलॉकहर व्यक्ति अपने स्मार्टफोन को सुरक्षित बनाना चाहता है। इसके लिए लॉक स्क्रीन पिन कोड या फिंगरप्रिंट लॉक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कई बार आप सोचते हैं कि स्मार्ट अनलॉक की सुविधा मिल जाए तो काम और भी आसान हो जाए। इस मामले में आप एंड्रॉइड डिवाइसेज को बेहतर मान सकते हैं। इसके लिए स्टॉक एंड्रॉइड पर सेटिंग्स में सिक्योरिटी एंड स्मार्ट लॉक सेक्शन में जाना होगा। इसके बाद सिक्योरिटी को मजबूत बना सकते हैं। ट्रस्टेड फेस, ट्रस्टेड वॉइस या खास स्थान पर पिन को डिसेबल भी कर सकते हैं।