धान से भरी बोरियां भी गीली हैं जिसके चलते बोरिया सडऩे लगी हैं। धान बोरियों से बाहर गिर रही है। रखरखाव के अभाव में कई क्विंटल धान खरीदी केंद्रों पर ही खराब हो रही है। वहीं पर रखी हुई धान को बारिश से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए, जिसके चलते सालीचौका के बाबई कलां धान खरीदी केंद्र में इस समय हजारों क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है, जिसे बारिश से बचाने के लिए महज औपचारिकता करते हुए धान खरीदी केंद्र में बोरियों पर पतली तिरपाल डाल दी गई है, जो बारिश और हवा में ही फट चुकी है और बारिश से हजारों क्विंटल धान गीली हो गई है। इसके चलते शासन को करोड़ों का नुकसान होने की आशंका है, वहीं पर आने वाले समय में धान खरीदी केंद्रों द्वारा भी पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी नुकसान दर्शाया जाएगा।
समय पर ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं होने के कारण क्षेत्र के अधिकांश धान खरीदी केंद्रों में खुले आसमान के नीचे धान पड़ी हुई है जो धीरे धीरे खराब हो रही है। वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर धान में बारिश का पानी या किसी भी प्रकार का पानी लग जाए तो धान धीरे धीरे खराब होने लगती है। लोगों का कहना है एक ओर जहां शासन का खजाना खाली पड़ा हुआ है उसे भरने के लिए मध्यप्रदेश सरकार लाख जतन कर रही है कि प्रदेश को कर्जे से उबारा जाए। वहीं दूसरी ओर प्रशासन के नुमाइंदे ही सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे इससे आगे चलकर धान की बर्बादी में होने वाले घाटे को प्रदेश सरकार के माथे पर मढ़ दिया जाएगा।