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नदी तट पर पितरों की आराधना जारी तर्पण के साथ चल रहे श्राद्ध

locationगाडरवाराPublished: Oct 02, 2018 06:57:35 pm

Submitted by:

ajay khare

पितृपक्ष के चलते स्थानीय शक्कर नदी छिड़ाव घाट पर प्रतिवर्ष अनुसार बड़ी संख्या में लोग प्रात:काल से तर्पण करने पहुंच रहे हैं। जिसमें पंडित द्वारा मंत्रोच्चार के साथ लोगों को तर्पण कराया जा रहा है। नगर के अलावा समीपी ग्रामीण क्षेत्रों में भी तर्पण करने लोग नदी तटों तालाब एवं स्थानीय जलस्रोतों पर पहुंच रहे हैं।

pitr paksh

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गाडरवारा। वर्तमान में पितृपक्ष के चलते स्थानीय शक्कर नदी छिड़ाव घाट पर प्रतिवर्ष अनुसार बड़ी संख्या में लोग प्रात:काल से तर्पण करने पहुंच रहे हैं। जिसमें पंडित द्वारा मंत्रोच्चार के साथ लोगों को तर्पण कराया जा रहा है। नगर के अलावा समीपी ग्रामीण क्षेत्रों में भी तर्पण करने लोग नदी तटों तालाब एवं स्थानीय जलस्रोतों पर पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर अनेक लोग नर्मदा जाकर भी तर्पण करते हैं। तर्पण में पुरखों को जल देने के साथ जगह जगह तिथि श्राद्ध भी आयोजित किए जा रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में लोग खासकर पंडितों को एक ही दिन अनेक जगह श्राद्ध कर्म में पहुंचकर भोजन करना होता है। श्राद्ध में श्रद्धा के अनुसार 11, 21, 51 आदि संख्या में ब्राह्मणों को भोज कराने की मान्यता है। इसके अलावा श्राद्ध आयोजनों में लोग अपने इष्ट मित्रों परिजनों को भी आमंत्रित करते हैं। अनेक लोग अपने दिवंगत पितरों की मुक्ति के लिए गया (बिहार) भी गए हैं, कहते हैं गयाजी में पिंडदान तर्पण से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। बहरहाल नगर से लेकर गांव गांव में पितृपक्ष में तर्पण-श्राद्ध का जोर है। लोग सामर्थ एवं श्रद्धा के अनुसार पितृ आराधना में लगे हैं।

तर्पण में पुरखों को जल देने के साथ जगह जगह तिथि श्राद्ध भी आयोजित किए जा रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में लोग खासकर पंडितों को एक ही दिन अनेक जगह श्राद्ध कर्म में पहुंचकर भोजन करना होता है। श्राद्ध में श्रद्धा के अनुसार 11, 21, 51 आदि संख्या में ब्राह्मणों को भोज कराने की मान्यता है। इसके अलावा श्राद्ध आयोजनों में लोग अपने इष्ट मित्रों परिजनों को भी आमंत्रित करते हैं। अनेक लोग अपने दिवंगत पितरों की मुक्ति के लिए गया (बिहार) भी गए हैं, कहते हैं गयाजी में पिंडदान तर्पण से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। बहरहाल नगर से लेकर गांव गांव में पितृपक्ष में तर्पण-श्राद्ध का जोर है। लोग सामर्थ एवं श्रद्धा के अनुसार पितृ आराधना में लगे हैं।

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