इस मैच में चोट से उबर कर हैरी केन और रोबटरे फिर्मिनो ने लिवरपूल की टीम में वापसी की। लिवरपूल की शुरुआत दमदार रही। पहले मिनट में ही उसने पेनाल्टी हासिल कर लिया। 18 गज के बॉक्स में सादियो माने ने अपने साथी को पास देने की कोशिश की। गेंद जाकर हॉटस्पर के मिडफील्डर मूसा सिसोको के हाथ में लगी और रेफरी ने पेनाल्टी दे दी। पेनाल्टी का पूरा फायदा उठाते हुए सलाह ने गेंद को गोल में डालकर अपनी टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी।
हालांकि पहले मिनट में ही गोल हो जाने के बाद भी दोनों टीमों ने तेजी नहीं दिखाई और गोल करने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं किया।
दूसरे हाफ की शुरुआत से टॉटेनहम ने आक्रामक रुख अपनाया। लेकिन दोनों टीमें गोल करने में सफल नहीं हुई। मैच खत्म होने से तीन मिनट पहले 87वें मिनट में दूसरे हाफ में स्थानापन्न के रूप में उतरे ओरिगी ने बॉक्स के अंदर से गोल कर लिवरपूल की बढ़त दोगुनी कर दी और करीब-करीब जीत सुनिश्चित कर दी।
लिवरपूल की यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि उसने 14 साल बाद इस खिताब पर कब्जा किया है। इससे पहले वह 1977, 1978, 1981, 1984, और 2005 में चैम्पियन बना है। सात साल बाद किसी इंग्लिश क्लब ने यह खिताब जीता है। इससे 2012 में चेल्सी ने इस लीग की चैम्पियन बनी थी। इसके अलावा एक और अहम बात यह कि ऐसा मौका 11 साल बाद आया कि जब यूरोपीय चैम्पियंस लीग के फाइनल में दो इंग्लिश क्लब आमने-सामने थी। इससे पहले 2008 में चेल्सी और मैनचेस्टर यूनाइटेड क्लब के बीच फाइनल हुआ था। इसमें मैनचेस्टर यूनाइटेड क्लब ने जीत हासिल की थी।
यूरोपीय चैम्पियंस लीग के फाइनल में लिवरपूल ने पिछले साल भी जगह बनाई थी, लेकिन स्पेन की दिग्गज टीम रियल मेड्रिड ने उसे हरा दिया था। रियल ने चैम्पियंस लीग खिताब सबसे अधिक 13 बार जीता है, जबकि एसी मिलान के खाते में सात बार यह टाइटल गया है। इस बार की खिताबी जीत के साथ लीवरपूल तीसरे नंबर पर आ गया है। उसने बायर्न म्यूनिख और एफसी बार्सिलोना (दोनों 5-5) को पीछे छोड़ा।
इस बार चैम्पियन लीग की खास बात यह भी रही कि लगातार पिछले पांच साल से चले आ रहे रियल मैड्रिड और एफसी बार्सिलोना के दबदबे को भी उसने तोड़ दिया। पिछले पांच साल से यही दोनों खिताब पर कब्जा जमाती आ रही थीं।