कहा- बहुत पहले भारत की क्षमता परख ली थी
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने जॉन के हवाले से बताया कि भारत के प्रदर्शन से कुछ लोग भले ही हैरान हों, लेकिन एएफसी यह जानती है कि पिछले एक दशक में भारत में फुटबाल ने कितनी प्रगति की है। एएफसी का विजन और मिशन परिसंघ के सदस्यों को हर तरह की सहायता मुहैया कराने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता है। उन्होंने बहुत पहले ही भारत की क्षमता को परख लिया था। वह विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए खेल के स्तर को बढ़ाने के लिए कई साल से एआइएफएफ के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। भारतीय फुटबॉल ने भविष्य का संकेत दे दिया है कि वह नई ऊंचाइयों को छू सकता है। इसमें हाल में मलेशिया में हुए एएफसी अंडर-16 चैम्पियनशिप में भारतीय टीम का 2002 के बाद पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचना और बेंगलूरु एफसी का 2016 में एएफसी कप के फाइनल तक का सफर भी शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय मैच का अनुभव दिलाने के लिए टूर्नामेंट की मेजबानी भी दी
इस बीच भारत ने 2016 में एएफसी अंडर-16 चैम्पियनशिप और 2017 में अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी भी की थी। जॉन ने कहा कि एएफसी ने 2016 में भारत में एएफसी अंडर-16 चैम्पियनशिप कराने का फैसला सिर्फ इसलिए नहीं लिया था कि उसे 2017 में विश्व कप की मेजबानी करने का मौका मिले, बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मैचों में खेलने को अनुभव भी प्राप्त हो, जो फुटबॉल के विकास के लिए बेहद जरूरी है। एएफसी एशियन कप यूएई 2019 के दौरान भारत के प्रशंसक एकजुट होकर अपनी टीम को समर्थन प्रदान कर रहे हैं और उम्मीद है कि भारतीय टीम के शानदार प्रदर्शन से देश में फुटबॉल की स्थिति बदलेगी।